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वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है : प्राचार्य

राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय मुंगेर के प्रांगण में वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर शुक्रवार को सामूहिक गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इंजीनियरिंग कॉलेज में सामूहिक वंदे मातरम गायन का आयोजन

मुंगेर. राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय मुंगेर के प्रांगण में वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर शुक्रवार को सामूहिक गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें संस्थान के सभी सहायक प्राध्यापक, कर्मी एवं विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. प्राचार्य डॉ आलोक कुमार सिंह ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है. सात नवंबर 2025 को भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150 वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है. यह एक ऐसी रचना है, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है. यह भारत की राष्ट्रीय पहचान का स्थायी प्रतीक है. वंदे मातरम ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारतीय एकता पहचान बन गया. अंग्रेजी सरकार ने स्कूलों में इसे गाने पर रोक लगायी और छात्रों को दंड भी दिया, पर गीत की गूंज नहीं रुकी. यह स्वदेशी आंदोलन से पूरे देश में फैल गया. कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ राजेंद्र पंडित ने किया. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम वो गीत है, जो स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज बन गयी. जिसने गुलामी की नींद में सोए भारतीयों को जगाया. बंकिम चंद्र चटोपाध्याय की कलम से निकला वंदे मातरम जब गूंजता, तो देशभक्ति की एक लहर दौड़ जाती है.

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