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सदर अस्पताल में नहीं है एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ, कार्डियक मॉनिटर के भरोसे आइसीयू

हृदय रोग के अधिकांश मरीजों समुचित इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है.

– सदर अस्पताल में लगातार आधारभूत संरचनाओं का हो रहा विकास हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बढ़ा रही परेशानी- एक सप्ताह में अस्पताल पहुंचे हृदय रोग के 12 मरीज, 4 रेफर, एक मौत

मुंगेर

जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में वैसे तो लगातार आधारभूत संरचनाओं का विकास हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है. एक ओर मुंगेर सदर अस्पताल जहां वर्तमान में मात्र एक सर्जन के भरोसे चल रहा है. जबकि उनकी नियुक्ति भी सदर अस्पताल में स्क्रीन स्पेशलिस्ट के पद है. वहीं सालों से यहां एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है. जिसके कारण हृदय रोग के अधिकांश मरीजों समुचित इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि ठंड आरंभ होने के एक सप्ताह में ही सदर अस्पताल में हृदय रोग के 12 मरीज पहुंचे हैं. जिसमें 4 को रेफर किया गया है. जबकि एक की मौत इलाज के दौरान हो चुकी है.

सालों से सदर अस्पताल में नहीं है हृदय रोग विशेषज्ञ

सदर अस्पताल में वैसे तो साल 2024 और 2025 में कई चिकित्सक मिले, लेकिन कई चिकित्सकों के हाल के दिनों में चले जाने के कारण एक बार फिर अस्पताल में चिकित्सकों की काफी कमी हो गयी है. अस्पताल में वैसे तो वर्तमान में सामान्य, विशेषज्ञ और आयुष चिकित्सक मिलाकर कुल 30 से अधिक चिकित्सक हैं, लेकिन सालों से सदर अस्पताल में एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है. हद तो यह है कि सदर अस्पताल में हृदय रोग के मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी भी फिजिशियन चिकित्सक के कंधों पर ही है. जबकि ओपीडी में हृदय रोग के सामान्य मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी आयुष चिकित्सक ही निभा रहे हैं. ऐसे में सदर अस्पताल में हृदय रोग पीड़ित मरीजों को मिलने वाले इलाज को खुद ही समझा जा सकता है.

एक सप्ताह में आये हृदय रोग के 12 मरीज, 4 रेफर, एक मौत

सदर अस्पताल वैसे तो सुविधा बढ़ने के बावजूद विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण अबतक रेफरल अस्पताल बना हुआ है. जहां अधिकांश गंभीर मामलों में मरीजों को रेफर ही कर दिया जाता है. वहीं कॉर्डियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण हृदय रोग के अधिकांश मरीजों को रेफर ही किया जाता है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि ठंड बढ़नेे के साथ ही सदर अस्पताल में नवंबर माह में हृदय रोग के कुल 12 मरीज इलाज के लिये पहुंचे. जिसमें 4 मरीजों को रेफर कर दिया गया. जबकि एक मरीज की मौत सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी.

कॉर्डियेटिक मॉनिटर के भरोसे आईसीयू वार्ड में मरीज

वैसे तो सदर अस्पताल में 7 बेड का आईसीयू वार्ड गंभीर मरीजों के लिए संचालित है. जहां नियमानुसार तो प्रत्येक बेड पर वेंटिलेटर की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल का आईसीयू वार्ड केवल कार्डियक मॉनिटर के भरोसे मरीजों को इलाज की सुविधा दे रहा है. जबकि लाखों का 11 वेंटिलेटर सालों से पीकू वार्ड में धूल फांक रहा है. जिसका लाभ न तो वहां भर्ती होने वाले बच्चों को मिल पा रहा है और न ही आईसीयू वार्ड के मरीजों को. कुल मिलाकर कहा जाये तो सदर अस्पताल का आईसीयू वार्ड मरीजों को समुचित इलाज उपलब्ध नहीं करा पा रहा है.

कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक

सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ निरंजन कुमार ने कहा कि जनरल फिजिशियन कॉर्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ के रूप में है. जिनके द्वारा हृदय रोग के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. वेंटिलेटर का संचालन नहीं हो पा रहा है. जिसके लिये कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना है.

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