मुंगेर. बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीकृष्ण को हृदय सम्राट कहना मात्र एक दार्शनिक वाक्य नहीं है, बल्कि यह एक गूढ़ और वास्तविक आध्यात्मिक तथ्य को इंगित करता है. वे संन्यासपीठ पादुका दर्शन में चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान चल रहे श्रीकृष्ण आराधना के दूसरे दिन शुक्रवार को उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण मधुरता की प्रतिमूर्ति है. उनके व्यक्तित्व का हर पक्ष, उनकी हर लीला, मधुरता से परिपूर्ण है. उनको समर्पित स्तोत्र मधुराष्टकम का यही सार है. उन्होंने उस प्रसंग को साझा किया, जब श्रकृष्ण के देहावसान के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया तो उनका हृदय शेष रहा और वहीं धड़कता हृदय पूरी के जगन्नाथ मंदिर के मुख्य विग्रह में आज भी विद्यमान है. भगवान का हृदय सदा मानवता के लिए धड़कता है, क्योंकि सभी मानव भगवान की संतान है. सच्ची भक्ति इसी में है कि हमारा हृदय भी भगवान और दूसरों के लिए धड़का करें. स्वामी निरंजनानंद के सत्संग सुनने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी और स्थानीय श्रद्धालु मौजूद थे. आयोजन मंडली द्वारा जानकारी दिया कि आराधना की पूर्णाहुति नौ अगस्त रक्षा बंधन पूर्णिमा पर होगा.
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