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मुंगेर विश्वविद्यालय : न आयी कमेटी की रिपोर्ट, न आउटसोर्सिंग कर्मियों को मिला मानदेय

मुंगेर विश्वविद्यालय ने भले ही सीनेट और सिंडिकेट की बैठक समय पर आयोजित कर ली है, लेकिन अब अपने सक्षम प्राधिकार के बैठक के निर्णयों को लागू करने में कामयाब नहीं हो रही.

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11 अप्रैल को ही कुलपति ने एजेंसी से वार्ता को लेकर बनायी थी कमेटी, सात दिनों में देना था

रिपोर्ट

मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय ने भले ही सीनेट और सिंडिकेट की बैठक समय पर आयोजित कर ली है, लेकिन अब अपने सक्षम प्राधिकार के बैठक के निर्णयों को लागू करने में कामयाब नहीं हो रही. हाल यह है कि 11 अप्रैल को सिंडिकेट बैठक के निर्णय के अनुसार आउटसोर्सिंग कर्मियों को एक माह के मानदेय भुगतान को लेकर कुलपति ने तीन सदस्यीय कमेटी बनायी थी. जिसे सात दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया, लेकिन निर्धारित समय के 10 दिन बीत जाने के बाद भी जहां अबतक कमेटी रिपोर्ट नहीं दे पायी है. वहीं आउटसोर्सिंग कर्मियों को एक माह के मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है. यह हाल तब है, जब पहले से ही एमयू के आउटसोर्सिंग कर्मियों के 16 माह का मानदेय बकाया है.

बता दें कि 28 मार्च को विश्वविद्यालय में आयोजित सिंडिकेट बैठक के दौरान निर्णय लिया गया था कि विश्वविद्यालय में इलाइट फैक्लॉन एजेंसी के तहत कार्यरत 72 आउटसोर्सिंग कर्मियों के एक माह का भुगतान 15 अप्रैल तक सरकार के निर्धारित दैनिक मानदेय के आधार पर किया जायेगा. वहीं एजेंसी के इसपर तैयार नहीं होने की स्थिति में विश्वविद्यालय आउटसोर्सिंग कर्मियों के पूर्व के 16 माह के बकाये मानदेय का भुगतान 4 किस्तों में करेगा. साथ ही पूर्व की एजेंसी को हटाते हुए निविदा प्रक्रिया के तहत नयी एजेंसी का चयन किया जायेगा.

अबतक नहीं मिली रिपोर्ट

कमेटी बनने के 10 दिन बाद भी अबतक न तो कमेटी अपना रिपोर्ट विश्वविद्यालय को दे पायी है और न ही आउटसोर्सिंग कर्मियों को एक माह के मानदेय का भुगतान हो पाया है. हद तो यह है कि सिंडिकेट बैठक के निर्णय के अनुसार 15 अप्रैल का समय बीते 13 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी एमयू प्रशासन अबतक कोई निर्णय नहीं ले पाया है.

एजेंसी और विश्वविद्यालय के बीच फंसे आउटसोर्सिंग कर्मी

आउटसोर्सिंग कर्मियों के मानदेय भुगतान का मामला जहां एजेंसी और विश्वविद्यालय के बीच फंसा है, वहीं इन दोनों के बीच एमयू में कार्यरत 72 आउटसोर्सिंग कर्मी फंस गये हैं. विदित हो कि आउटसोर्सिंग कर्मियों का पहले से ही 16 माह का मानदेय बकाया है. वहीं अब एक माह के मानदेय का मामला भी अटक गया है. ऐसे में एमयू में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मी बिना मानदेय के परेशान हैं.

कहते हैं अधिकारी

ओएसडी प्रो. प्रियरंजन तिवारी ने बताया कि अबतक कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट नहीं दी गयी है. कमेटी को कुलपति द्वारा जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है. जिसके बाद आउटसोर्सिंग कर्मियों के मानदेय भुगतान को लेकर निर्णय लिया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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