मुंगेर. हरितालिका तीज व चौठचंद्र व्रत मंगलवार को पुरी श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया गया. सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाये रखने तथा अविवाहित युवतियों ने अपने मन मुताबिक वर पाने के लिए पूरे नेम-निष्ठा के साथ हरितालिका तीज का व्रत किया़. साथ ही भगवान शंकर व माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना व रात्रि जागरण किया. वहीं चौठचंदा का व्रत भी पुरे नेम-निष्ठा के साथ किया गया. शाम होते ही व्रती महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के नैवेद्य व दही का भोग लगा कर विधि-विधान के साथ चंद्र देवता की आराधना की तथा परिवार में सदा शीतलता प्रदान करने की कामना की.
भक्ति-भाव के साथ तीज व्रत व चौठचंदा पर्व संपन्न
हरितालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं व अविवाहित युवतियों ने पूरे नियम निष्ठा के साथ रखा़ दिन भर उपवास में रहने के बाद डलिया भरा गया तथा पूरे विधि-विधान से महिलाओं ने हरितालिका तीज की कथा सुनी़. वहीं देर रात तक भक्ति जागरण का दौर चलता रहा. बताया जाता है कि सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था. जिसके कारण इस दिन विशेष रूप से गौरीशंकर की ही पूजा की गयी़. व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदयकाल से पूर्व ही जग गयी तथा स्नान कर पूरा श्रृंगार करके पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरीशंकर की प्रतिमा स्थापित की. इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया गया़. शंकर, पार्वती, गणेश सहित अन्य देवी-देवताओं की भक्ति गीत से पूरा वातावरण पावन हो गया. वहीं चौठचंदा करने वाली व्रति महिलाओं ने सूर्यास्त के बाद अपने घरों के आंगन व छतों पर फल व विभिन्न प्रकार के नैवेद्य व दही का भोग लगाया तथा चौठी चंद्रमा को धूप-दीप दिखा कर अर्ध दान कर परिवार के लिए मंगल कामना की.
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