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सम्राट चौधरी के चुनाव लड़ने से तारापुर विधानसभा बनी हॉट सीट

मुंगेर जिले का तारापुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक स्तर पर काफी सजग रहा है और इस क्षेत्र ने आजादी की लड़ाई से लेकर वर्तमान राजनीतिक परिदृष्य में कई इतिहास रचे हैं.

राणा गौरी शंकर, मुंगेर. मुंगेर जिले का तारापुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक स्तर पर काफी सजग रहा है और इस क्षेत्र ने आजादी की लड़ाई से लेकर वर्तमान राजनीतिक परिदृष्य में कई इतिहास रचे हैं. आजादी के बाद जहां लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज करायी थी. वहीं लगभग तीन दशक तक इस सीट पर शकुनी चौधरी के परिवार का दबदबा रहा. पार्टियां बदलती रही, लेकिन शकुनी चौधरी ने विपरीत स्थितियों में भी जनता का समर्थन प्राप्त किया. इस बार उनके पुत्र राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव मैदान में हैं और उनका मुकाबला राजद के अरुण कुमार साह से है. वैसे इस सीट पर जनसुराज ने डॉ संतोष कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो राजपूत समाज से आते हैं. चुनाव में संतोष सिंह अपने समाज का कितना वोट लेने में कामयाब होंगे, इसपर इस क्षेत्र का चुनाव परिणाम भी प्रभावित होगा. तारापुर विधानसभा सम्राट चौधरी के चुनाव लड़ने से हॉट सीट बन चुका है और पूरे राज्य की नजर इस सीट पर है. यूं तो पूर्व से यह सीट एनडीए के कब्जे में रही है और 2010 से लगातार जदयू के विधायक रहे हैं. 2010 में शकुनी चौधरी को पराजित कर नीता चौधरी विधायक बनी थी और फिर 2015 एवं 2020 में उनके पति डॉ मेवालाल चौधरी को जनता ने अपना समर्थन दिया था. वैसे कोरोना के दूसरे फेज में डॉ मेवालाल चौधरी की मौत हो गयी और 2021 के उपचुनाव में इस सीट पर जदयू के राजीव कुमार सिंह विधायक बने. यह सीट एनडीए में लगातार जदयू के पास थी, लेकिन इस बार यह सीट भाजपा के खाते में चली गयी, जिसके कारण निवर्तमान विधायक राजीव सिंह चुनाव से वंचित हो गये और भाजपा ने सम्राट चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया. सम्राट चौधरी का यह भले ही गृह क्षेत्र रहा है, लेकिन वे यहां सीधे जनता के बीच कभी चुनावी मैदान में नहीं उतरे थे. तारापुर से वे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और यह सीट उनके परिवार के लिए पुश्तैनी सीट मानी जा सकती है. 1985 से 2010 तक उनके पिता व माता ही यहां के विधायक रहे. जातीय समीकरण के आधार पर भी यह सीट सम्राट चौधरी के लिए काफी सेफ मानी जाती है, क्योंकि वे कुशवाहा समाज से आते हैं और पिछले 40 वर्षों से इस सीट पर कुशवाहा समाज का ही कब्जा रहा है. वैसे चुनावी मैदान में अब बिसात बिछ चुकी है और महागठबंधन व एनडीए में जहां सीधा मुकाबला दिख रहा है, वहीं जनसुराज ने भी इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में अपनी ताकत झौंक दी है.

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