मुंगेर.
बिहार योग विद्यालय के पादुका दर्शन संन्यास पीठ परिसर में चल रहे श्री लक्ष्मी-नरायायण महायज्ञ का शुक्रवार को पूर्णाहूति किया गया. यह अपने में एक विशिष्ट यज्ञ रहा, जिसमें पहले दिन से ही देवी कृपा अनवरत बरसती रही. पूरे भारत में नारायण के आठ प्रमुख मंदिर है. उन्हीं में से तीन मंदिरों का प्रसाद इस वर्ष महायज्ञ में प्राप्त हुआ. मौके पर परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती का संन्यास दिवस भी मनाया गया. समारोह में स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी सत्यानंद धर्म की नहीं, बल्कि कर्म की शिक्षा देते है. वे जीवन का लक्ष्य नहीं बतलाते, बल्कि यह बताते हैं कि कैसे जीवन जीया जाये. उनका एक ही संकल्प रहा कि उन्हें मोक्ष नहीं चाहिए, वे बार-बार इस धरती पर जन्म लेना चाहते हैं. ताकि वे समाज के लोगों की आंखों से पीड़ा के आंसु को पोछ सके. स्वामी निरंजनानंद ने स्वामी सत्यानंद के बिहार वासियों नाम एक प्रेरक संदेश को भी पढ़कर सुनाया. बसोधारा, बलि, देवता-विसर्जन आदि प्रक्रियाओं के साथ यज्ञ की पूर्णाहुति संपन्न हुई. सभी को उस घड़ी में देवी अनुग्रह का अंतरंग अभुभव हुआ. संध्या के समय गंगा दर्शन में छाया समाधि के प्रांगण में स्वामी सत्यानंद का संन्यास दिवस बड़े ही धूमधाम के साथ बनाया गया. बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर-नारी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

