मुंगेर विश्वविद्यालय : पीजी की स्वीकृति वाले सात कॉलेजों में पहले से ही शिक्षकों की है कमी
मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को कैसी उच्च शिक्षा दे रहा है, यह शायद खुद विश्वविद्यालय ही समझ पा रहा हो. क्योंकि बीते दिनों एमयू द्वारा जिन सात कॉलेजों को पीजी की पढ़ाई आरंभ करने की स्वीकृति दी है. उसमें अधिकांश कॉलेजों में या तो किसी विषय में नियमित शिक्षक ही नहीं है या उस विषय के शिक्षक विश्वविद्यालय में अधिकारी बने हैं. अब ऐसे में जब वर्तमान में विश्वविद्यालय पीजी के नये सत्र में नामांकन आरंभ कर रहा है तो नामांकन के बाद इन कॉलेजों में विद्यार्थियों को पीजी की शिक्षा कौन देगा, यह एक बड़ा सवाल है.बता दें कि एमयू ने 16 अक्तूबर को अधिसूचना जारी कर विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सात कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई आरंभ करने की स्वीकृति दी है. इसमें दो कॉलेज बीआरएम कॉलेज, मुंगेर तथा बीएनएम कॉलेज, बड़हिया ऐसे हैं, जहां पीजी की पढ़ाई पहली बार आरंभ होगी, जबकि शेष पांच कॉलेजों में पूर्व से ही पीजी की पढ़ाई हो रही है. वहीं इन कॉलेजों में अन्य विषयों में भी पीजी की पढ़ाई आरंभ करने की स्वीकृति दी गयी है. वहीं प्रत्येक कॉलेज में स्वीकृत विषय में विश्वविद्यालय द्वारा 30-30 सीटों की स्वीकृति दी गयी है.
एमयू में उच्च शिक्षा की बदहाली का आलम यह है कि सात कॉलेजों को पीजी की पढ़ाई आरंभ करने की स्वीकृति देने के साथ विश्वविद्यालय ने इन कॉलेजों में पीजी के नये सत्र में नामांकन भी आरंभ कर दी है, लेकिन इन सात कॉलेजों में ऐसे कई कॉलेज हैं, जहां स्वीकृत विषयों में या तो शिक्षक ही नहीं है या कुछ कॉलेज में जिस विषय के शिक्षक हैं, वे विश्वविद्यालय में अधिकारी के पद पर भी हैं. बता दें कि एसकेआर कॉलेज, बरबीधा में जंतुविज्ञान में पीजी की पढ़ाई आरंभ करने की स्वीकृति दी गयी है. जहां के एकमात्र शिक्षक डॉ कुंदन लाल को विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में ही दूसरे कॉलेज भेज कर उन्हें विश्वविद्यालय का नोडल अधिकारी बना दिया गया है. जबकि कोशी कॉलेज, खगड़िया में दर्शनशास्त्र के एकमात्र शिक्षक डॉ महेश्वर मिश्र वर्तमान में विश्वविद्यालय के डीएसडब्लूय हैं. जबकि इसी कॉलेज में वाणिज्य के एकमात्र शिक्षक डॉ संजय मांझी भी विश्वविद्यालय में खेल अधिकारी के पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इसके अतिरिक्त आरडी कॉलेज शेखपुरा वणस्पति विज्ञान और साइकोलॉजी के शिक्षक नहीं हैं. जबकि आरएस कॉलेज, तारापुर में राजनीति विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय के शिक्षक नहीं है, क्योंकि पूर्व में इस कॉलेज में एक शिक्षक डॉ शर्मा राम थे, जिन्हें विद्यार्थी से खैनी लगाकर खाने के मामले में विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में ही दूसरे कॉलेज भेज दिया गया है. हद तो यह है कि कई कॉलेजों में तो कई विषयों में अतिथि शिक्षक भी नहीं हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

