मुंगेर.
सदर अस्पताल प्रबंधन एक ओर जहां सुरक्षित प्रसव की सुविधा गर्भवती को दिये जाने का दावा करता है. वहीं बुधवार की रात सदर अस्पताल में लगभग आठ घंटों तक दर्द से कराहती रही गर्भवती की हालत ने खुद ही अस्पताल के सुरक्षित प्रसव की पोल खोल दी. हद तो यह था कि आठ घंटे तक तड़पने के बाद भी गर्भवती का सिजेरियन प्रसव नहीं कराया गया. इसके बाद परिजन हंगामा करते हुए गर्भवती को लेकर निजी नर्सिंग होम चले गये. इस बीच मामले की जानकारी लगने पर जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने प्रसव केंद्र में बुधवार को तैनात महिला चिकित्सक डॉ स्वाति अटोलिया के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.जानकारी के अनुसार बेगूसराय के पचवीर निवासी मो मीर कासिम की पत्नी शाइना प्रवीण को परिजन प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार की शाम करीब 3 बजे सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. शाइना प्रवीण की बहन तमन्ना ने बताया कि पहले स्टाफ द्वारा नार्मल डिलेवरी की बात कही गयी. इस बीच गर्भवती की स्थिति देख रात 10 बजे नर्स ने सिजेरियन की बात कही. सिजेरियन आपरेशन डाॅ स्वाति अटोलिया को करना था, लेकिन वह मौजूद नहीं थी. इस बीच नाइट राउंड पर प्रसव वार्ड पहुंचे अस्पताल प्रबंधक ने जानकारी मिलने पर डाॅ स्वाति अटोलिया को फोन कर बुलाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं आईं. इसके बाद प्रबंधक ने इसकी जानकारी उपाधीक्षक को दी. हालांकि उपाधीक्षक ने भी चिकित्सक को फोन कर बुलाया, लेकिन वह नहीं पहुंची. इधर गर्भवती के दर्द की स्थिति देख और सिजेरियन नहीं होने पर परिजन हंगामा करने लगे. हंगामा के बाद भी चिकित्सक डाॅ स्वाति अटोलिया के नहीं आने पर परिजन गर्भवती को लेकर निजी नर्सिंग होम चले गये. जहां प्रसव के बाद नवजात की स्थिति नाजुक बनी हुई है.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डाॅ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि चिकित्सक की लापरवाही से डीएम को भी अवगत कराया गया है. डीएम ने महिला चिकित्सक की लापरवाही को गंभीर मामला मानते हुए अगले आदेश तक वेतन स्थगित रखने का निर्देश दिया है.
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