मुंगेर. झारखंड के बोकारो जिले के लुगु पहाड़ पर सोमवार की सुबह सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में आठ माओवादी मारे गये. इसमें एक अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा उर्फ नेता जी था, जिसने मुंगेर जिले में माओवादियों को स्थापित करने में न सिर्फ मुख्य भूमिका निभायी थी, बल्कि वर्षों तक कार्य क्षेत्र मुंगेर ही रखा था. उस पर मुंगेर जिले के विभिन्न थानों में 25 से अधिक मामले दर्ज हैं. उसे लंबे समय से मुंगेर पुलिस भी ढूंढ़ रही थी.
माओवादी संगठन को मजबूत करने में निभायी थी मुख्य भूमिका
यूं तो अरविंद यादव जमुई जिले के सोनो थाना क्षेत्र के भेलवा मोहनपुर गांव का रहने वाला था. उसका कार्य क्षेत्र मुंगेर था. मुंगेर जिले में माओवादी संगठन को मजबूत करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही. उसने धरहरा थाना क्षेत्र के पेसरा में नक्सली कैंप को स्थापित किया था. जहां से वह खड़गपुर, धरहरा प्रखंड में माओवादी गतिविधियों को संचालित करता था. भीमबांध जंगल में नक्सलियों को ट्रेनिंग दिलवाता था. पैसरा से ही वह मुंगेर-जमुई व लखीसराय में 100 से अधिक नक्सली वारदात को अंजाम दिलवाने का काम किया. वर्तमान में वह बिहार-झारखंड नक्सली संगठन का प्रवक्ता और प्रवेश दा गिरोह का मुख्य हार्डकोर था. उसने अपने नेतृत्व में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया था.
मुंगेर में 25 से अधिक मामले हैं दर्ज
अरविंद यादव पर मुंगेर जिले के विभिन्न थानों में 25 से अधिक मामले दर्ज हैं. इसमें धरहरा थाना में 7, खड़गपुर थाना में 3, लड़ैयाटांड थानामें 7 से अधिक मामले दर्ज हैं. इसके अतिरिक्त शामपुर, गंगटा सहित अन्य थानों में भी मामले दर्ज हैं. उसने वर्ष 2011 में में जहां करेली नरसंहार की घटना को अंजाम दिया. वहीं वर्ष 2014 में ऋषिकुंड में चार पुलिस जवानों की हत्या कर राइफल लूट लिया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में नक्सली मुठभेड़ में दो सीआरपीएफ जवान शहीद हो गये थे. इसमें अरविंद का नाम सामने आया था. उसने कई हत्या, अपरहण, बारूदी सुरंग और लेवी वसूली, पुलिस मुठभेड़ सहित अन्य घटना में भी उनकी संलिप्ता रही थी. मुंगेर जिले में उनके नाम अपराध की लंबी फेहरिस्त है.
सरकार ने तीन लाख का इनाम कर रखा था घोषित
अरविंद यादव पर मुंगेर पुलिस लगातार इनाम की राशि बढ़ाती रही. बावजूद उनकी गिरफ्तारी मुंगेर पुलिस के लिए चुनौती बनी रही. कोई लीड उसके बारे में पुलिस को नहीं मिल सकी. मुंगेर पुलिस की अनुशंसा पर इनाम की राशि में पुलिस मुख्यालय लगातार वृद्धि करती गयी. वर्तमान समय में पुलिस मुख्यालय ने उस पर तीन लाख का इनाम घोषित कर रखा था.
सीआरपीएफ व एसटीएफ की दबिश से छोड़ा था मुंगेर
जिले से माओवादी उन्मूलन को लेकर भीमबांध जंगल में सीआरपीएफ कैंप की स्थापना की गयी. उसके बाद पैसरा में सीआरपीएफ कैंप खोला गया. लगातार नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया. मुंगेर पुलिस व एसटीएफ भी लगातार नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया. इसका परिणाम रहा कि कई हार्डकोर नक्सली पकड़े गये, जो आज जेल में बंद हैं. जबकि कई हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. लगातार कार्रवाई के कारण 2020 के बाद अरविंद यादव ने मुंगेर छोड़ दिया और झारखंड चला गया.
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