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आईसीडीएस व स्वास्थ्य विभाग के बीच आपसी तालमेल की कमी बढ़ा रहा कुपोषण के मामले

कुपोषित बच्चों को समुचित देखभाल व इलाज भी नहीं मिल पा रहा है

– कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र तक पहुंचाने में सहयोग नहीं कर रहा आइसीडीएस

– चालू वित्तीय वर्ष के 6 माह में आइसीडीएस के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र से भेजे गये मात्र 28 कुपोषित बच्चे

मुंगेर

जिले के कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल एवं इलाज के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जाता है. जहां स्वास्थ्य विभाग और आइसीडीएस के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा जिले के कुपोषित बच्चों को यहां इलाज के लिए भेजा जाता है, लेकिन जिला प्रशासन के आइसीडीएस विभाग और स्वास्थ्य विभाग के बीच आपसी तालमेल की कमी के कारण जिले में कुपोषित बच्चों के मामले न केवल बढ़ रहे है, बल्कि ऐसे कुपोषित बच्चों को समुचित देखभाल व इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के अबतक के 6 माह में सदर अस्पताल के एनआरसी वार्ड में कुल 76 कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए लाया गया है. इसमें मात्र 28 कुपोषित बच्चों को ही आइसीडीएस के आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा भेजा गया है, जबकि शेष 48 कुपोषित बच्चों को खुद स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा ही चिन्हित कर एनआरसी भेजा गया है.

कुपोषित बच्चों के लिये एनआरसी वार्ड में 14 बेड की सुविधा

जिले में कुपोषित बच्चों के इलाज और उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए सदर अस्पताल में 14 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) वार्ड संचालित हो रहा है, यहां बच्चों को कुपोषण से बचाया जाता है. आइसीडीएस के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र तथा जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम दोनों द्वारा ही कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजना है. यहां कुपोषित बच्चों को 15 दिनों तक रखा जाता है. जहां उनके खाने-पीने का अलग से डायट निर्धारित होता है. इस वार्ड में कुपोषित बच्चों के साथ न केवल उनकी माताओं के रहने की भी सुविधा है, बल्कि कुपोषित बच्चों के इलाज अवधि तक इन बच्चों की माताओं को अलग से राशि का भुगतान भी किया जाता है.

आंगनबाड़ी केंद्र व स्वास्थ्य विभाग भी नहीं ले रहे दिलचस्पी

जिले के नौ प्रखंडों में से अधिकांश प्रखंडों में न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही आईसीडीएस विभाग कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र तक भेजने में दिलचस्पी ले रहे हैं. बता दें कि असरगंज, बरियारपुर, धरहरा, तारापुर एवं टेटियाबंबर प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा अप्रैल से सितंबर के बीच एक भी कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र नहीं भेजा गया है, जबकि हवेली खड़गपुर, जमालपुर, सदर प्रखंड तथा संग्रामपुर प्रखंड में अप्रैल से सितंबर माह के बीच कई माह ऐसे बीते हैं. जिसमें न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही आईसीडीएस विभाग द्वारा किसी कुपोषित बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा गया है. अब ऐसे में जिले में बच्चों को कुपोषण से बचाने के जिम्मेदारों की उनकी भूमिका को केवल समझा ही जा सकता है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश प्रसाद ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र तक कुपोषित बच्चों को लाने की जिम्मेदारी आइसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग दोनों पर है. आइसीडीएस डीपीओ से इसे लेकर बात की जायेगी. साथ ही इससे जिलाधिकारी को भी अवगत कराया जायेगा. वहीं यदि स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी कुपोषित बच्चों की पहचान नहीं की जा रही है तो इसे लेकर जानकारी ली जायेगी. साथ ही कार्य में लापरवाही बरतने वालों के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी.

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बॉक्स

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वित्तीय वर्ष 2025-26 के 6 माह में पोषण पुर्नवास केंद्र आये कुपोषित बच्चे

प्रखंड स्वास्थ्य विभाग आईसीडीएस

असरगंज 1 0

बरियारपुर 3 0

धरहरा 6 0

खड़गपुर 11 2

जमालपुर 10 9

सदर प्रखंड 21 17

संग्रामपुर 2 1

तारापुर 2 0

टेटियाबंबर 1 0

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