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गंगा हुई बेकाबू, बिगड़े हालात, घर छोड़ कर भाग रहे लोग

मुंगेर में बाढ़ ने भयावह रूप धारण कर लिया है. एक ओर गंगा खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, वहीं शहरी क्षेत्र व गंगा के तटवर्ती क्षेत्र के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी में डूब गया है.

शक्तिपीठ चंडिका स्थान में पानी प्रवेश करने के कारण मंदिर का पट किया गया बंद

मुंगेर. मुंगेर में बाढ़ ने भयावह रूप धारण कर लिया है. एक ओर गंगा खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, वहीं शहरी क्षेत्र व गंगा के तटवर्ती क्षेत्र के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी में डूब गया है. प्रसिद्ध शक्तिपीठ चंडिका स्थान में देर रात ही बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने के कारण मंदिर का पट बंद कर दिया गया है और श्रद्धालुओं के लिए पूजा पाठ भी बंद है. बड़ी संख्या में लोग घर छोड़ कर ऊंचे स्थान पर शरण ले रहे हैं और प्रशासनिक स्तर पर राहत व बचाव कार्य प्रारंभ किया गया है.

मुंगेर जिले में बाढ़ का कहर अब लोगों को परेशान करने लगा है. डेंजर लेवल से ऊपर जलस्तर जाने के बाद जहां मुंगेर सदर प्रखंड के कुतलूपुर, जन्मडिग्री, जाफरनगर, टीकारामपुर सहित अन्य क्षेत्रों में पानी भर गया है. वहीं बरियारपुर प्रखंड के आधे दर्जन पंचायत भी इसके चपेट में है. कुतलूपुर एवं जफरनगर के अधिकांश लोग मुंगेर शहर के बबुआ घाट में आश्रय बनाया है. बाढ़ के पानी के कारण कई गांव का सड़क संपर्क भंग हो गया है. मुंगेर शहर के लाल दरवाजा, हेरु दियारा, नया टोला चंदनबाग, शिवनगर सहित आधे दर्जन मोहल्ले में बाढ़ का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर गया है, जिसके कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर ऊपर बह रही गंगा

आपदा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को गंगा खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. गुरुवार की रात नौ बजे गंगा का जलस्तर 39.48 मीटर पर था, जो शुक्रवार की सुबह 6 बजे 39.57 मीटर पर पहुंच गया, जबकि शुक्रवार को अपराह्न चार बजे गंगा के जलस्तर में 11 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी के साथ गंगा का जलस्तर 39.68 पर पहुंच गया. माना जा रहा है कि जिस तरह से गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है, उससे हालात और बिगड़ने के आसार हैं.

बाढ़ पीड़ितों ने लखीसराय, सूर्यगढ़ा के अमरपुर स्थित उच्च विद्यालय में लिया शरण

मुंगेर में गंगा पूरी तरह से बेकाबू हो गयी है, जिसके कारण गांव से लेकर शहर तक के हालत बिगड़ते जा रहे हैं. और लोग गांव-घर छोड़ कर भागने लगे हैं. कुतलुपुर, बहादुर नगर, परोरो टोला से भाग कर लोगों ने लखीसराय, सूर्यगढ़ा के अमरपुर स्थित उच्च विद्यालय में शरण ले रखा है. जबकि गंगा पार जाफनगर और सीताचरण से लोग नाव के सहारे बबुआ घाट पर उतर कर वहीं पर शरण लिया है. सदर प्रखंड के नौवागढ़ी विद्यालय में भी बाढ़ पीड़ित ने डेरा डाल दिया है. आपदा विभाग ने जो सूची तैयार किया है, उसके अनुसार जिले के पांच प्रखंड मुंगेर सदर, बरियारपुर, जमालपुर, धरहरा और हवेली खड़गपुर के कुल आठ पंचायत बाढ़ से प्रभावित है. जिसमें सदर प्रखंड के कुतलुपुर, जाफनगर, टीकारामपुर और तारापुर दियारा पंचायत प्रभावित है, जबकि बरियारपुर प्रखंड का गंगा पार हरिणमार व झौवाबहियार, जमालपुर प्रखंड का कालारामपुर, इंद्रुख पूर्वी पंचायत बाढ़ से प्रभावित है. जबकि वास्तविकता यह है कि दो दर्जन के अधिक पंचायत बाढ़ से प्रभावित और वहां के ग्रामीण गांवों में कैद है. शहर के लालदरवाला, हेरूदियारा, चांय टोला, शिवकुंड, करबल्ला, लल्लू पोखर शहरी टोला, नया टोला चुआबाग तक बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. प्रशासनिक स्तर पर राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है. 11 स्थानों पर सामुदायिक किचन शुरू किया गया है, जबकि 38 स्थानों पर आश्रय स्थल बनाया गया है. वर्तमान में अमरपुर, बबुआ घाट और नौवागढ़ी में कुछ बाढ़ प्रभावित परिवार पहुंचे है, जबकि बाढ़ पीड़ितों के बीच पॉलिथीन शीट्स का वितरण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पशुचारा के लिए संबंधित विभाग के अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि पशुपालकों को पशु चारा के लिए परेशान नहीं होना पड़े.

निखिल धनराज, जिलाधिकारी

22 विद्यालयों को अगले दो दिनों के लिए किया गया बंद

मुंगेर. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अवस्थित 24 विद्यालयों में बाढ़ का पानी घुसने की रिपोर्ट की गयी थी. एसडीओ सदर कुमार अभिषेक ने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर कुल 22 विद्यालयों को अगले दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. बाढ़ की क्या स्थिति रहती है, उसको देखते हुए आगे कार्रवाई की जायेगी. विदित हो कि 50 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र भी बाढ़ के कारण पूरी तरह से बंद हो गये हैं, जिससे बच्चों के पोषाहार पर ब्रेक लग गया है.

किसान बर्बाद, पशुपालक परेशान

मुंगेर. बाढ़ के कारण किसान बर्बाद हो गये और पशुपालक परेशान हैं. बरियारपुर, मुंगेर सदर, हवेली खड़गपुर, जमालपुर एवं धरहरा के दियारा, चौर और टाल क्षेत्र में बाढ़ का पानी फैल गया है. जिसके कारण हजारों एकड़ खेतों में लगी फसल पूरी तर से बर्बाद हो गयी है, जबकि हरा पशुचारा भी बाढ़ में डूब गया है. जिसके कारण पशुओं को हरा चारा नसीब नहीं हो रहा है, जबकि सूखा पशुचारा भी बाढ़ के पानी में डूब गया है. पशुपालक के समक्ष पशुचारा की सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है.

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