मुंगेर. संन्यासपीठ पादुका दर्शन में चल रही देवी भागवत कथा के आठवें दिन सोमवार को स्वामी गोविंद देवगिरि ने माता सती के देह त्याग की कथा सुनायी. इस मार्मिक कथा को सुनकर वहां उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो गये. उन्होंने कई महत्वपूर्ण घटनाओं और विषयों पर प्रकाश डाला. स्वामी गोविंद देव ने कहा कि जब भगवान शिव सती के शरीर को लेकर घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने अपने बाणों से सती के शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिये. जिन स्थानों पर देवी सती के शरीर के अंग गिरे, वे सिद्ध शक्तिपीठ बन गये. देवी भागवत पुराण के इस अध्याय में कुल 108 शक्तिपीठों का विवरण दिया गया है. जैसे काशी में मां विशालाक्षी, द्वारका में मां रुक्मिणी और यहां मुंगेर में मां चंडिका. देवी भागवत के अनुसार ये सभी शक्तिपीठ जागृत स्थान हैं. मान्यता है कि यहां देवी की पूजा बहुत जल्द फलदायी होती है. उन्होंने कहा किदेवी भागवत में वर्णित योग मार्ग में सबसे पहले 10 यम और 10 नियम आते हैं, फिर आसन और प्राणायाम का वर्णन है. उसके बाद प्रत्याहार और विभिन्न धारणाओं का उल्लेख है.
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