मुंगेर. धरहरा एवं जमालपुर प्रखंड के गंगा के किनारे बने बाढ़ सुरक्षा तटबंध पूरी तरह से बदहाल हो गयी है. जिसे अब मरम्मती की जरूरत है. लेकिन मरम्मती की दिशा में जिम्मेदार पूरी तरह से लापरवाह है. जिसके कारण गंगा तटबंध के किनारे बसे लोग परेशान हैं. क्योंकि गंगा में बाढ़ होने में लगभग तीन महीना का समय शेष है. सुंदरपुर गांव से डकरा नाला तक बने बाढ़ सुरक्षा तटबंध को 7 साल हो चुका है. समय पर मरम्मति नहीं होने तथा देखरेख के अभाव में कई गांव में तटबंध का जिओ बैग गंगा के पानी में समा गया है. कई जगहों पर जिओ बैग फट कर बर्बाद हो गया है. तो कई जगहों को लोगों ने सुरक्षा की दृष्टिकोण से जिओ बैग को हटाकर अन्यत्र रख दिया है. इसके साथ-साथ तटबंध के निकट भू माफिया द्वारा मिट्टी की कटाई की जा रही है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि तटबंध की विभागीय उपेक्षा की जा रही है. बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल का कार्यालय वर्तमान में भागलपुर में है. ग्रामीणों को बाढ़ आने पर शिकायत करने में दिक्कत होती है. भागलपुर जाकर अधिकारियों से शिकायत करनी पड़ती है. विभागीय उपेक्षा के कारण जिओ बैग का बांध प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है. यही कारण है कि सुंदरपुर चांद टोला, हेमजापुर चांद टोला, लगमा, मिर्जाचक, शिवकुंड, सिंघिया तथा फरदा गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करने का बाढ़ के दिनों में लोगों में आशंका बनी रहती है. बांध की देखरेख नहीं होने तथा विभागीय उपेक्षा के कारण बांध का अतिक्रमण भी हो रहा है. ग्रामीणों बताया कि बाढ़ के दिनों में गांव में गंगा का पानी प्रवेश करने की सूचना मिलने पर विभाग द्वारा अस्थाई रूप से कटाव स्थल पर जिओ बैग डालकर येन-केन पाकारेण बाढ़ के पानी को गांव में प्रवेश करने से रोकने के लिए हाथ पांव मारता है. लेकिन जैसे ही गंगा नदी के जल स्तर में कमी होना प्रारंभ होता होता है वैसे ही बाढ़ प्रमंडल के कर्मचारी एवं अधिकारी का ध्यान इस ओर से हट जाता है. ग्रामीण बमबम कुमार, कमलेश्वरी तांती, अजय राम, रामप्रवेश यादव, नारायण सहनी, सुखदेव सहनी ने कहा कि जिओ बैग से निर्मित अस्थाई सुरक्षा तटबंध के बदले स्थाई बाढ़ सुरक्षा तटबंध का निर्माण कराया जाय. ताकि बार-बार का बाढ़ का खतरा समाप्त हो जाय.
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