मुंगेर. बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर गया है, लेकिन इसके पीछे छोड़ा गया बर्बादी का मंजर लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है. घर, खेत और सड़कों पर भरे पानी ने भारी नुकसान किया है. अब पानी लौट जाने के बाद भी कीचड़ और सड़ा हुआ पानी हर तरफ फैला है, जिससे दुर्गंध उठ रही है और लोग महामारी की आशंका से डर गये हैं. शहर के बबुआ घाट, दो मंठा घाट, कष्टहरणी और गंगा घाटों पर कीचड़ जमा है. गंगा पार और गंगा घाट के ग्रामीण क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हैं. मुंगेर शहरी क्षेत्र में बेलन बाजार, बंगाली टोला, लल्लू पोखर, सहनी टोला, करबल्ला बेलवा घाट, हेरूदियारा सहित कई मोहल्लों में बाढ़ का पानी फंसा हुआ है. घरों के अंदर और बाहर की स्थिति कीचड़मय बनी हुई है. स्थानीय निवासी गणेश महतो, अरुणा दैवी, मनु मांझी, अनिक महतो और ओम प्रकाश महतो आदि ने बताया कि गहराई वाले इलाकों में पानी अभी भी जमा है, जिससे उठ रही दुर्गंध परेशान कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक इलाज और दवा के लिए कोई मदद नहीं पहुंची और ब्लिचिंग पाउंड का छिड़काव भी नहीं हो रहा. स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि अस्थाई और चलंत मेडिकल कैंप के माध्यम से मदद की जा रही है. नगर निगम प्रशासन ने शहरी क्षेत्रों से पानी निकालने के लिए क्यूआरटी टीम बनाने और ब्लिचिंग व चूना छिड़काव की योजना बनायी है. मालूम हो कि बाढ़ ने घर, खेत, खलिहान और सड़कों को अपने कब्जे में ले लिया. 10 दिनों तक पानी में रहने के कारण फूस से बने घर पूरी तरह सड़ गये हैं. घरों में रखे अनाज और अन्य सामान बर्बाद हो गए हैं. टीकारामपुर, कुतलुपुर, जाफरनगर जैसे इलाकों में सैकड़ों फूस व कच्चे मकान ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं, गांव और घरों में कीचड़ का बुरा हाल बना हुआ है.
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