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श्री लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ : मुंगेर में दिव्य अनुग्रह बरसता रहा

श्री लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ : मुंगेर में दिव्य अनुग्रह बरसता रहा

मुंगेर. बिहार योग विद्यालय के पादुका दर्शन संन्यासपीठ में चल रहे श्री लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ में तीसरे दिन बुधवार को दिव्य आशीर्वाद की वर्षा हुई. इस दौरान, पुरी के जगन्नाथ मंदिर से महायज्ञ के लिए विशेष ध्वज और महाप्रसाद प्राप्त हुआ. महामंत्रों के बीच, स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने इसे ग्रहण कर यज्ञ के मुख्य देवताओं, लक्ष्मी-नारायण को अर्पित किया.

लक्ष्मी-नारायण: आध्यात्मिक शक्ति और सद्गुणों का प्रतीक

स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने बताया कि भगवान नारायण संपूर्ण सृष्टि में आत्म तत्व और जीवनी शक्ति हैं, और प्रत्येक प्राणी के हृदय में निवास करते हैं. वहीं, मां लक्ष्मी भगवान नारायण की शक्ति हैं, जो ऐश्वर्य, सौभाग्य, करुणा और तेज जैसे गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने कहा कि यह महायज्ञ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि इन दिव्य सद्गुणों और आशीषों को वितरित करने का एक माध्यम है.

मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की व्याख्या

स्वामी निरंजनानंद ने मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की विस्तृत व्याख्या की. कहा कि पहला स्वरूप आदि लक्ष्मी मां लक्ष्मी का मूल स्वरूप है, जो आध्यात्मिक संपदा का प्रतीक है और पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है. दूसरा स्वरूप संतोष लक्ष्मी है. यह स्वरूप जीवन में संतोष की संपदा प्रदान करता है. तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी है. यह सभी प्राणियों के लिए अन्न और धान्य की आपूर्ति कर उनका पोषण करती है. चौथा स्वरूप गज लक्ष्मी है. यह पशुओं की समृद्धि और राजसी सत्ता का प्रतीक है. स्वामी निरंजनानंद ने स्पष्ट किया कि यहां ”राजसी” का अर्थ स्वयं के मन और इंद्रियों पर नियंत्रण से है, जो आध्यात्मिक जीवन का मुख्य उद्देश्य है. पांचवां स्वरूप संतान लक्ष्मी है. यह गृहस्थों को संतान और साधु-संन्यासियों को योग्य शिष्य प्रदान करती है. उन्होंने रामकृष्ण परमहंस और स्वामी सत्यानंद जैसे संतों के उदाहरण दिए, जिनके चुनिंदा शिष्यों ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया. छठा स्वरूप वीर लक्ष्मी है. यह जीवन में बल, वीरता, शौर्य और साहस प्रदान करती है. सातवां स्वरूप विजय लक्ष्मी है. यह जीवन के सभी संघर्षों और प्रयासों में विजय दिलाती है. आठवां स्वरूप विद्या लक्ष्मी है. यह ज्ञान और विद्या प्रदान करती है.

इस तरह, मां लक्ष्मी की पूजा इन सभी सद्गुणों को जीवन में लाने का मार्ग खोलती है. स्वामी निरंजनानंद ने बताया कि 15 वर्षों में हुए लक्ष्मी-नारायण यज्ञों ने मुंगेर के निवासियों के निजी, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं. बिहार योग विद्यालय के महासचिव, संन्यासी धर्मरक्षित, ने भी योगपीठ और संन्यास पीठ के कल्याणकारी कार्यों पर प्रकाश डाला, और बताया कि कैसे इन प्रयासों ने समाज के उपेक्षित वर्गों के साथ संबंधों को मजबूत किया है.

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