बढ़ती सुविधाओं के बावजूद सदर अस्पताल में मरीजों को सता रहा संक्रमण का डर
कई वार्ड अबतक मॉडल अस्पताल में नहीं हो पाये हैं शिफ्ट, पुराने वार्डों में भर्ती हो रहे मरीजमुंगेर
मुंगेर में 32.5 करोड़ की लागत से बने 100 बेड के मॉडल अस्पताल का निर्माण इस उदेश्य से किया गया था कि यहां कई प्रकार के बीमारियों के मरीजों के लिये अलग से वार्ड की व्यवस्था होगी. अस्पताल में भूतल पर इमरजेंसी वार्ड सहित सभी प्रकार के जांच की व्यवस्था होनी है. जबकि प्रथम तल पर दुर्घटना एवं ट्रामा वार्ड होना है. इसके अतिरिक्त यहां प्रसवोत्तर कक्ष, नवजात शिशु चिकित्सा कक्ष, ऑपरेशन कक्ष तथा प्रसव कक्ष होना है, लेकिन वर्तमान में प्रथम तल पर केवल एमसीएच वार्ड का संचालन हो रहा है. इसके अतिरिक्त दूसरे तल पर आईसीयू, रक्त अधिकोष, जनरल ओटी, सामान्य चिकित्सा वार्ड तथा नेत्र रोग वार्ड होना है, लेकिन वर्तमान में यहां केवल आईसीयू और पुरूष मेडिकल व सर्जिकल वार्ड ही संचालित है. जबकि तीसरे तल पर ऑपरेशन कक्ष सहित कई अन्य वार्ड होने हैं, लेकिन वर्तमान में तीसरा तल पूरी तरह खाली है. जहां एक भी वार्ड का संचालन नहीं हो रहा है.मॉडल अस्पताल का उद्घाटन 5 फरवरी 2025 को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया. लेकिन उद्घाटन के लगभग 9 माह बाद भी अबतक सभी वार्डों को यहां शिफ्ट नहीं किया गया है. अबतक पुराने और जर्जर भवन में ही महिला वार्ड का संचालन हो रहा है. जबकि एनआरसी, प्रसव केंद्र का संचालन भी पुराने वार्ड में हो रहा है. जहां मरीजों के लिये पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है. यह हाल तब है, जब मॉडल अस्पताल में इसके लिये पहले ही अलग-अलग वार्ड का निर्धारण किया गया है. इतना ही नहीं वर्तमान में जिले में डेंगू संक्रमण के मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा भले ही महिला वार्ड के पास 6 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है. बावजूद डेंगू के संभावित व कंफर्म पुरूष मरीजों को मॉडल अस्पताल में सामान्य मरीजों के साथ भर्ती किया जा रहा है.
मॉडल अस्पताल में भर्ती मरीजों को सता रहा संक्रमण का डर
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण वर्तमान में मॉडल अस्पताल में मरीजों को अब खुद कई अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है. हाल यह है कि मॉडल अस्पताल के उद्घाटन के लगभग 9 माह बाद भी अलग-अलग वार्ड की व्यवस्था न होने के कारण डेंगू, टीबी जैसे कई संक्रामक बीमारियों के मरीजों को सामान्य वार्डों में ही भर्ती किया जा रहा है. जहां ऐसे संक्रामक बीमारियों के मरीजों को आइसोलेट करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल में वैसे तो पुरूष वार्ड, एमसीएच, इमरजेंसी, आईसीयू वार्ड को शिफ्ट कर दिया गया है. लेकिन वार्डों को शिफ्ट करने के बाद यहां अलग-अलग वार्ड बनाने की जगह एक ही जगह मरीजों को शिफ्ट किया जाने लगा. वर्तमान में मॉडल अस्पताल के दूसरे तल पर बने पुरूष मेडिकल व सर्जिकल वार्ड में ही डेंगू और टीबी जैसे संक्रामक बीमारियों के मरीजों को सामान्य मरीजों के साथ भर्ती किया जा रहा है. जिसके कारण अब पुरूष मेडिकल व सर्जिकल वार्ड में भर्ती मरीजों को खुद संक्रमित होने का डर सताने लगा है.
कहतें हैं अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ निरंजन कुमार ने बताया कि सभी वार्डों को धीरे-धीरे मॉडल अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है. जल्द ही महिला वार्ड को भी शिफ्ट कर दिया जायेगा. हलांकि कई अन्य वार्ड जैसे शिशु वार्ड, नेत्र विभाग व एसएनसीयू का संचालन पहले ही अलग वार्ड में हो रहा है. जहां सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
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