धरहरा. स्वास्थ्य विभाग और पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण समय सीमा खत्म हो गया, लेकिन आशा की बहाली नहीं हो सकी. कहीं आशा बहाली को लेकर आमसभा नहीं हुआ तो कहीं आमसभा हुआ तो कोरम के अभाव में आशा की बहाली नहीं हो सकी. जिसके कारण आशा बहाली के मामले में धरहरा प्रखंड पिछड़ गया. आशा बहाली को लेकर धरहरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. समय सीमा बीत जाने के बाद भी एक भी पंचायत में आशा बहाली पूरी नहीं हो पाई है. जहां-जहां बैठक हुई, वहां भी सिर्फ कोरम पूरा करने की खानापूर्ति हुई. सूत्रों की मानें तो कई जगहों पर मुखिया, प्रभारी और बीसीएम की मिलीभगत सामने आई. धरहरा में करीब 40 आंगनबाड़ी केंद्रों पर आशा की नियुक्ति होनी थी. नियम के मुताबिक चयन आमसभा के जरिए, पूरी पारदर्शिता से होना था. जिसकी अध्यक्षता मुखिया को करनी थी. लेकिन हकीकत यह है कि न तो आमसभा की जानकारी गांववालों दी गयी और न ही विभाग की ओर से कोई प्रचार-प्रसार हुआ. अब सवाल उठता है कि जब विभाग खुद समय सीमा और नियम तय कर चुका था, तो धरहरा में आशा बहाली क्यों लटकी रह गयी. इस मामले मे पंचायत समिति की प्रखंड स्तरीय बैठक मे भी पंचायत समिति सदस्यो ने मामला उठाया था. लेकिन इस पर जिम्मेदार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

