मुंगेर. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरहरा का हाल बेहाल है. हाल यह है कि यहां डाक्टर कौन है, नर्सिंग स्टाफ कौन है, वार्ड ब्यॉय कौन है और मरीज कौन है, कुछ पता नहीं चल पाता है. क्योंकि यहां न तो ड्रेस कोड का पालन होता है और न ही पहचान पत्र की ही किसी को जरूरत है. इसके कारण हर दिन स्वास्थ्यकर्मी और मरीज व उनके तीमारदारों के बीच झगड़ा आम हो गया है. हद तो यह है यहां के चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कोई समय कोई मायने नहीं रखता.
नहीं पहुंचे थे चिकित्सक, स्थापना कार्यालय में लटका था ताला
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरहरा के ओपीडी का संचालन सुबह 8 बजे से अपराह्न 2 बजे तक होता है. लेकिन सुबह 11 बजे तक यहां प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अनुपस्थित मिले. जबकि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अविनाश कुमार की ड्यूटी सुबह 8 बजे से अपराह्न 2 बजे तक थी. वे सुबह 11:30 बजे अस्पताल पहुंचे. इधर सुबह 11:30 बजे तक स्थापना कार्यालय में ताला लटका हुआ था. दवा वितरण काउंटर पर कोई फार्मासिस्ट भी नजर नहीं आये. हालांकि एक आयुष चिकित्सक कमरे में बैठी मिली. आई टैक्निशियन वहां मिले. जो गार्ड के साथ एक ही कमरे में आराम से बैठे हुए थे. जब गार्ड से पूछा गया कि आपकी ड्यूटी कमरे के बाहर है, तो उसने कहा कि डॉक्टर साहब आने के बाद ही हमारा काम होता है.
आदेश का नहीं होता पालन
अस्पताल में ड्रेस कोड का पालन नहीं होता है. कौन स्वास्थ्यकर्मी और कौन मरीज यह पता नहीं चल पाता है. इतना ही नहीं यहां समय का भी पालन नहीं होता है. कौन कब आयेगा और जायेगा इसका पता तक नहीं चल पाता है. जब प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ अविनाश कुमार ने संबंधित स्वास्थ्य कर्मी से ड्रेस कोड पर सवाल किया तो एक जीएनएम ने उनसे स्पष्ट कह दिया कि वह ड्रेस कोड में काम नहीं करेंगी. उन्हें असहज लगता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब प्रभारी ने सभी को लाइव लोकेशन भेजने का आदेश दिया है, तो लेखापाल एवं मैनेजर ने लाइव लोकेशन तक नहीं दिया. क्योंकि दोनों अस्पताल पहुंचे ही नहीं थे. इससे स्पष्ट होता है कि इन कर्मियों पर प्रभारी के आदेश का कोई असर नहीं पड़ता है.
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