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वन्यप्राणियों की सुरक्षा को लेकर भीमबांध, गुरमाहा व लखीसराय जंगल में बनेगा एंटीपोचिंग कैंप

Anti-poaching camps will be set up in Bhimbandh

– मुंगेर के भीमबांध, जमुई के मलयपुर गुरमाहा एवं लखीसराय के दतकिचिया पियरवा में 88.41 लाख की लागत से बनेगा एंटीपोचिंग कैंप

मुंगेर

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने वन्यप्राणियों की सुरक्षा, संरक्षण एवं विकास के लिए वन प्रमंडल मुंगेर के तीन जिलों के जंगलों में एंटीपोचिंग कैंप (अवैध शिकार निरोधी शिविर) स्थापित करने का निर्णय लिया है. विभाग के संयुक्त सचिव पूनम कुमारी द्वारा जारी पत्र के अनुसार इसका निर्माण 88.41 लाख की लागत से होगा. जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है.

भीमबांध, गुरमाहा व पियरवा जंगल में होगा एंटीपोचिंग कैंप की स्थापना

वन्यप्राणियों की सुरक्षा, संरक्षण एवं विकास योजना के तहत मुंगेर वन प्रमंडल में तीन स्थानों पर एंटीपोचिंग कैंप (अवैध शिकार निरोधी शिविर) स्थापित किया जायेगा. मुंगेर जिले के खड़गपुर वन प्रक्षेत्र में पड़ने वाले भीमबांध जंगल, जमुई जिले के मलयपुर वन प्रक्षेत्र के गुरमाहा जंगल एवं लखीसराय जिले के लखीसराय वन प्रक्षेत्र के दतकिचिया पियरवा (जानकीडीह) जंगल में एंटीपोचिंग कैंप स्थापित किया जायेगा. जिसकी कुल लागत 88.41 लाख होगा. इस राशि के निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी डीएफओ मुंगेर होंगे तथा राशि की निकासी उनके संबंद्ध कोषागार से की जायेगी. इनके द्वारा नियमानुसार विधिवत अनुमोदित दर के अनुरूप ही राशि का व्यय किया जायेगा. पत्र में स्पष्ट कहा गया कि सामग्री क्रय एवं सेवाओं की अधिप्राप्ति के संबंध में जहां नियमानुसार आवश्यक हो निविदा संबंधी नियमों का अनुपालन किया जाय. योजना क्रियान्वयन कानियमित पर्यवेक्षण प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा किया जायेगा.

वन्यजीवों की होगी सुरक्षा, अवैध कटाई पर लगेगी रोक

वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एंटी-पोचिंग कैंप (अवैध शिकार निरोधी शिविर) स्थापित किया जायेगा. जो वन रक्षकों को गश्त करने और संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिए एक आधार प्रदान करेंगी. यह कैंप सौर ऊर्जा जैसे आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित होंगे ताकि वायरलेस सेट, टॉर्च और कैमरों जैसे उपकरणों को चार्ज किया जा सके. क्योंकि जंगलों में बिजली की समस्या रहती है. इसकी स्थापना से जहां वन्य जीवों के शिकार पर रोक लगेगा, वहीं घायल व बीमार वन्य जीवों के मिलने पर उसका उपचार हो सकेगा. इसकी स्थापना से वन्यजीवों का विकास भी संभव है. इतना ही नहीं जंगलों में हो रही अवैध तरीके से वनों की कटाई पर भी बहुत हद तक विराम लगेगा.

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