मुंगेर : वैसे तो चालू वित्तीय वर्ष में मुंगेर जिला ने अंधापन नियंत्रण में अबतक 78 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल कर ली है़ किंतु सरकारी स्तर पर यह आंकड़ा पूरी तरह बदहाल व्यवस्था को प्रदर्शित करता है. सदर अस्पताल में चालू वित्तीय वर्ष में कुल 1000 मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन किया जाना था. किंतु 11 महीना बीत जाने के बाद भी अबतक मात्र 24 ऑपरेशन किये गये हैं.
अंधापन नियंत्रण की पूरा दारोमदार एनजीओ व निजी क्लिनिकों पर निर्भर होकर रह गया है. जबकि सदर अस्पताल में दो-दो नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित हैं.
अंधापन नियंत्रण में सदर अस्पताल फिसड्डी
लाखों रुपये खर्च के बावजूद जिले में अंधापन नियंत्रण पूरी तरह से एनजीओ तथा निजी अस्पतालों के कंधे पर टिक कर रह गया है़ जबकि सदर अस्पताल में दो-दो नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रत्येक नेत्र विशेषज्ञ द्वारा हर साल कम से कम 500 मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन किया जाना है़
इस तरह दो चिकित्सक को मिला कर कम से कम 1000 ऑपरेशन एक साल के दौरान किया जाना है़ किंतु प्रबंधन की उदासीनता के कारण सदर अस्पताल में चालू वित्तीय वर्ष के फरवरी माह तक सिर्फ 24 ऑपरेशन ही किये गये हैं. ऐसी स्थिति में अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञों के रहने व न रहने से क्या फायदा़
पिछले 11 महीने का है ये आंकड़ा
चालू वित्तीय वर्ष में माहवार आंकड़े
महीना उपलब्धि
अप्रैल 2016 140
मई 2016 111
जून 2016 107
जुलाई 2016 142
अगस्त 2016 94
सितंबर 2016 130
अक्टूबर 2016 113
नवंबर 2016 335
दिसंबर 2016 134
जनवरी 2017 400
फरवरी 2017 1038
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि आई हॉस्पीटल के ओटी की स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण यहां पर मरीजों का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है़ एनजीओ तथा निजी क्लिनिकों द्वारा किये गये ऑपरेशन को भी जिले की उपलब्धि में ही जोड़ा जाता है़
विभिन्न स्रोतों में ऑपरेशन
स्रोत ऑपरेशन की संख्या
एनजीओ 1300
निजी क्लिनिक 1420
सदर अस्पताल 24