मुंगेर : जिलेवासियों सावधान! इस साल जिले भर में 5 हजार से भी अधिक लोग आवारा कुत्तों के शिकार हो चुके हैं या यूं कहा जा सकता है कि जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण जिलेवासी लगातार आवारा कुत्तों के शिकार हो रहे हैं. किंतु आवारा कुत्तों पर नकेल कसने का विकल्प नहीं ढूंढ़ा जा रहा़ हाल यह है कि घर के बाहर गलियों व सड़कों पर रात तो रात अब दिन में भी आम राहगीरों का चलना मुश्किल सा हो गया है़ जिसमें सबसे अधिक छोटे- छोटे बच्चे आवारा कुत्तों के शिकार हो रहे हैं.
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हर साल पांच हजार लोग होते हैं आवारा कुत्तों के शिकार
मुंगेर : जिलेवासियों सावधान! इस साल जिले भर में 5 हजार से भी अधिक लोग आवारा कुत्तों के शिकार हो चुके हैं या यूं कहा जा सकता है कि जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण जिलेवासी लगातार आवारा कुत्तों के शिकार हो रहे हैं. किंतु आवारा कुत्तों पर नकेल कसने का विकल्प नहीं ढूंढ़ा जा […]
पिछले साल 5 हजार से अधिक लोग हुए शिकार: जिले भर के विभिन्न प्रखंडों में पिछले साल 5 हजार से भी अधिक लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बना लिया है़ जिनमें से कुल 2416 लोग सिर्फ नगर निगम क्षेत्र में आवारा कुत्तों के शिकार हुए हैं. कुत्तों की आवारगी इतनी बढ़ गयी है कि रात तो रात अब दिन में भी आम राहगीरों के बीच इसका खौफ बना रहता है़ कई राहगीर तो सड़कों पर कुत्तों के झुंड को देख कर अपना रास्ता तक बदलने को विवश हो जाते हैं.
किंतु जिला प्रशासन मूक दर्शक बनी हुई है़ वैसे कई बार निगम के बैठक में वार्ड पार्षदों द्वारा इस मामले को लेकर आवाज भी बुलंद की जा चुकी है, किंतु अब तक आवारा कुत्तों कों पकड़ने के लिए विशेष प्रकार के वाहन की खरीदारी नहीं हो पायी है़
शहर में इन स्थानों पर आवारा कुत्तों का राज: ग्रामीण क्षेत्रों में तो गिनती करना भी मुश्किल है, किंतु शहर के कुछ प्रमुख मार्ग ऐसे हैं, जिससे होकर आम राहगीर तो दूर बाइक चालकों को भी गुजरना मुश्किल हो जाता है़
शहर के कोतवाली रोड में राजा बाजार के समीप सबसे अधिक आवारा कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है़ वहीं पूरबसराय, गोला रोड तथा शादीपुर रोड भी आवारा कुत्तों अड्डा बन चुका है़ वैसे तो दिन में सड़कों पर जन समूह की संख्या अधिक रहने के कारण कुत्ते लोगों पर कम आक्रमण करता है, किंतु रात्रि में तो चलते वाहनों पर भी वह झपट्टा मार देता है़ जिसमें कई बार वाहन सवार सड़क दुर्घटना का शिकार भी हो जाता है़ शहर के आवारा कुत्तों पर यदि जल्द ही नकेल नहीं कसा गया तो आने वाले साल में यह संख्या दुगनी भी हो सकती है़
स्वास्थ्य विभाग को लग रहा लाखों का चूना: प्रशासनिक उदासीनता के कारण स्वास्थ्य विभाग हर वर्ष लाखों रुपये का चूना लग रहा है़ बावजूद प्रशासन गंभीर नहीं हो रही है़ कुत्ते के शिकर एक मरीज को एंटी रैबीज के कम से कम तीन इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. बाजार में एक इंजेक्शन की कीमत लगभग 350 रुपये है़ इस अनुसार यदि देखा जाये तो सदर अस्पताल में सिर्फ पिछले साल एंटी रैबीज के इंजेक्शन लगाने में कुल 25 लाख 36 हजार 800 रुपये का खर्च किया जा चुका है़
जबकि जिले के अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी एंटी रैबीज के इंजेक्शन नि:शुल्क उपलब्ध कराये जाते हैं. इतने रुपये तो आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए खरीदे जाने वाले वाहन पर भी खर्च नहीं होता़
धरहरा प्रखंड के शिवकुंड गांव में सोमवार को स्थानीय निवासी विजय कुमार राय का 8 वर्षीय बालक रवि किशन कुमार अपने घर के सामने गली में खेल रहा था़ तभी एक आवारा कुत्ता वहां आ धमका तथा बालक पर जानलेवा हमला कर दिया़ जब तक बालक के परिजन उसकी चीख-पुकार सुन कर बाहर निकले, तब तक कुत्ता उसके बांयें जांघ की बोटी नोच कर खा चुका था़ लोगों की भीड़ देख कुत्ता तो वहां से भाग गया़ किंतु बालक गंभीर रूप से घायल हो गया़ उसे इलाज के लिए परिजनों ने सदर अस्पताल में भरती कराया़
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