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48 नहीं, यहां सिर्फ नौ प्रकार की जांच
सदर अस्पताल में नि:शुल्क जांच के नाम पर धोखा किया जा रहा है. यहां 48 जांच की सूची टांगी गयी है. लेकिन सिर्फ नौ प्रकार की ही जांच होती है. यानी 39 प्रकार की जांच यहां नहीं होती. ऐसे में मरीज बाहर ही जांच कराने को मजबूर हैं. मुंगेर : कहने को तो स्वास्थ्य विभाग […]
सदर अस्पताल में नि:शुल्क जांच के नाम पर धोखा किया जा रहा है. यहां 48 जांच की सूची टांगी गयी है. लेकिन सिर्फ नौ प्रकार की ही जांच होती है. यानी 39 प्रकार की जांच यहां नहीं होती. ऐसे में मरीज बाहर ही जांच कराने को मजबूर हैं.
मुंगेर : कहने को तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए सभी प्रकार की जांच नि:शुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है, लेकिन सदर अस्पताल मुंगेर में नि:शुल्क जांच के नाम पर रोगियों को धोखा दिया जा रहा है़ जांच घर में 48 प्रकार के जांच की सूची लगी है, लेकिन मरीजों को मात्र नौ प्रकार के जांच की सुविधा ही उपलब्ध हो रही. बदहाली यह है कि यहां ब्लड ग्रुप जांच तक की सुविधा रोगियों को नहीं मिल रही. फलत: अस्पताल के इर्द गिर्द कुकुरमुत्ते की तरह जांच घर खुल गये , जहां न तो मानक के अनुरूप जांच हो रही और न ही वहां जांच करने वाले चिकित्सक उपलब्ध है.
ब्लड ग्रुप व सीबीसी का नहीं हुआ जांच: लखीसराय जिले के घोषैठ निवासी सुमन देवी ने ओपीडी में अपना स्वास्थ्य जांच कराया़ जिसके बाद चिकित्सक ने उसे सीबीसी जांच के लिए लिखा़ महिला जैसे ही सदर अस्पताल के जांच घर में पहुंची, वैसे ही वहां पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मी ने उसे कह दिया कि अस्पताल के बाहर निजी जांच घर में जाकर इसका जांच करवाइये़ यहां सीबीसी जांच नहीं हो पायेगा़
वहीं फरदा निवासी प्रीति कुमारी को अपना ब्लड ग्रुप जांच कराना था, लेकिन उसे भी स्वास्थ्य कर्मी ने साफ शब्दों में कह दिया कि अस्पताल गेट के बाहर निजी जांच घर में ब्लड ग्रुप जांच करवा लीजिए, यहां पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है़
निजी जांच घरों की कट रही चांदी
सदर अस्पताल में तीन दर्जन से भी अधिक की संख्या में महत्वपूर्ण जांच की व्यवस्था नहीं रहने के कारण मरीजों को निजी जांच घरों का रास्ता बता दिया जाता है, जहां मरीजों को जांच के नाम पर रुपये नाहक खर्च करने पड़ रहे हैं.
सदर अस्पताल में यह समस्या कोई नयी बात नहीं है़ ऐसा वर्षों से होता आ रहा है़ यही कारण है कि सदर अस्पताल के समीप ही अब कई निजी जांच घर खुल चुके हैं, वर्तमान समय में इन जांच घरों की चांदी कट रही है़ सूत्रों की मानें तो इस खेल में कई चिकित्सक तथा पारा मेडिकल स्टाफ शामिल हैं, जो मरीजों को अनावश्यक जांच लिख कर उसका आर्थिक शोषण करने में लगे हुए हैं. वहीं अस्पताल प्रबंधन इस बात को लेकर शायद बेखबर है़
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि केमिकल के अभाव में कई जांच नहीं हो पा रहा है. केमिकल के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को लिखा गया है़ बीएमएसआइसीएल द्वारा जल्द ही केमिकल भेजे जाने की उम्मीद है़
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