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33 रुपये पर अटका है मामला

उदासीनता. एनजीओ के सफाइकर्मी हड़ताल पर, शहर में फैल रही गंदगी मुंगेर नगर निगम के एनजीओ सफाइकर्मी पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं. वे लोग श्रम अधिनियम के तहत मजदूरी की मांग कर रहे हैं. साथ ही राशि का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से करने व जीपीएफ की सुविधा प्रदान करने की मांग […]

उदासीनता. एनजीओ के सफाइकर्मी हड़ताल पर, शहर में फैल रही गंदगी

मुंगेर नगर निगम के एनजीओ सफाइकर्मी पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं. वे लोग श्रम अधिनियम के तहत मजदूरी की मांग कर रहे हैं. साथ ही राशि का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से करने व जीपीएफ की सुविधा प्रदान करने की मांग पर अड़े हैं. सफाइकर्मियों के हड़ताल के कारण मुंगेर शहर में चारों ओर गंदगी फैल गयी है और शहरवासी परेशान हो रहे.
मुंगेर : नगर निगम में स्थायी सफाइकर्मियों के साथ ही चार एनजीओ के माध्यम से सफाई कार्य संपादित किया जाता है. एनजीओ द्वारा कूड़ा उठाव, डोर टू डोर कूड़ा संग्रह एवं नाली-झाड़ूकश मजदूर से प्रत्येक वार्ड में काम कराया जाता है. इसके तहत सफल वेलफेयर सोसाइटी कूड़ा उठाव, नोवेल्टी वेलफेयर सोसाइटी एवं महिला विकास संस्थान द्वारा टीपर के माध्यम से डोर टू डोर कचरा उठाव एवं महिला निकतेन द्वारा 200 सफाइकर्मियों की आपूर्ति नगर निगम को की जाती है. जिसका उपयोग शहर में सड़क-नाली की सफाई में किया जाता है.
हड़ताल पर एनजीओ के 200 सफाइकर्मी :
मुंगेर नगर निगम में कार्यरत एनजीओ के 200 सफाइकर्मी पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं. जिसके कारण शहर के विभिन्न वार्डों में सफाई का कार्य लगभग ठप हो गया है. न तो सड़क पर झाड़ू लग रहा और न ही नालियों की सफाई हो रही. फलत: शहर में जगह-जगह गंदगी फैलने लगी है. कूड़ों का ढेर लगा है और नालियां बजबजा रही है. इतना ही गली-मुहल्लों में सफाइकर्मियों ने साफ-सफाई नहीं किया. बुधवार की सुबह एनजीओ के सफाइकर्मी नगर निगम के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया और निगम प्रशासन एवं एनजीओ के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. सफाइकर्मियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरा नहीं होगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी.
श्रम विभाग ने दिया था निर्देश
एनजीओ द्वारा अपने सफाइकर्मियों को न्यूनतम मजदूरी से कम राशि का भुगतान करने पर श्रम विभाग ने संबंधित एनजीओ को कड़ी फटकार लगायी थी और निर्देश दिया था कि सफाइकर्मियों को एनजीओ द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान किया जाय. बावजूद नगर निगम एवं संबंधित एनजीओ मजदूर हित की लगातार उपेक्षा कर रहा है.
206 के बदले मिल रहे मात्र 173 रुपये
बताया जाता है कि मुंगेर नगर निगम में कार्यरत स्वंयसेवी संगठन द्वारा मजदूरों को कम मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. नगर निगम द्वारा प्रत्येक मजदूरों को श्रम अधिनियम के तहत 206 रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जाता है. किंतु संबंधित एनजीओ अपने मजदूरों को मात्र 173 रुपये का ही भुगतान कर रही है. साथ ही इन मजदूरों को भविष्य निधि का भी लाभ नहीं मिल रहा. मजदूरों का कहना है कि वे लोग मुंगेर नगर निगम क्षेत्र में ही सफाई का कार्य कर रहे हैं. इसलिए उसे निगम सीधे तौर पर राशि का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से करे.
कर्मियों की मांग
खाते के माध्यम से उचित मानदेय दिया जाये
नगर निगम द्वारा मानदेय पर बहाल कर सफाई कार्य कराया जाये
जीपीएफ की मिले सुविधा
कहते हैं संघ के महामंत्री
नगर निगम कर्मचारी संघ के महामंत्री ब्रह्मदेव महतो का कहना है कि एनजीओ के सफाइकर्मी 2012 से काम कर रहे हैं. सरकारी नियमानुसार एनजीओ राशि का भुगतान करें और कर्मचारियों को जो सुविधा है उसे प्रदान करें.
कहते हैं नगर आयुक्त
नगर आयुक्त डॉ एसके पाठक का कहना है कि सरकार का सख्त निर्देश है कि एनजीओ कर्मियों को मानदेय पर बहाल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नगर निगम एनजीओ को भुगतान करती है इसलिए एनजीओ समझें कि उसे सफाइकर्मियों को क्या सुविधा देनी है और कितना मानदेय भुगतान करना है.

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