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गंगा को दूषित कर रहे ईंट के कारोबारी

मुंगेर : गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं संचालित की जा रही. वहीं मुंगेर शहर में मानकों को ताक पर रख कर 23 ईंट-भट्ठों का संचालन किया जा रहा. इसमें अधिकांश ईंट-भट्ठा गंगा के किनारे हैं. जहां एक ओर इससे गंगा प्रदूषित हो रही. वहीं दूसरी ओर गंगा किनारे अवैध रूप से […]

मुंगेर : गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं संचालित की जा रही. वहीं मुंगेर शहर में मानकों को ताक पर रख कर 23 ईंट-भट्ठों का संचालन किया जा रहा. इसमें अधिकांश ईंट-भट्ठा गंगा के किनारे हैं. जहां एक ओर इससे गंगा प्रदूषित हो रही. वहीं दूसरी ओर गंगा किनारे अवैध रूप से मिट्टी व बालू का उत्खनन हो रहा जो कई स्थानों पर खतरनाक रूप धारण कर लिया है.

मुंगेर जिले में गंगा का प्रवाह हेमजापुर से बरियारपुर घोरघट तक है. इसी किनारे जिले के अधिकांश ईंट-भट्ठों का संचालन किया जा रहा है. क्योंकि यहां मिट्टी व पानी की प्रचुरता ईंट-भट्ठा संचालकों को मिल जाती है. वर्ष 2015-16 में 48 ईंट-भट्ठा का रजिस्ट्रेशन खनन विभाग द्वारा दिया गया. जिसमें शहरी क्षेत्र के गंगा किनारे जहां 23 भट्ठा का संचालन हो रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 25 ईंट-भट्ठा संचालित हो रहे हैं.
ईंट भट्ठा से गंगा व पर्यावरण हो रहा प्रदूषित :
ईंट भट्ठा के चिमनियों से विषैले गैसों का उत्सर्जन होता है. चिमनियों में एकत्रित हो जाने वाले सूक्ष्म कण, चिमनियों में प्रयुक्त ईंधन के अवशेष एवं उद्योगों में काम में आए हुए जल का बहिर्स्राव गंगा को प्रदूषित कर रहा है. सीओटू हवा में ज्यादा पाये जाने की सबसे बड़ी वजह शहर के चारों तरफ बेतरतीब ढंग से चलने वाले ईंट भट्ठे हैं. इनकी चिमनी से निकलने वाले काले धुएं में सबसे ज्यादा कार्बन डाइअॉक्साइड पाया जाता है. जो डायरेक्ट कोयला जलने से बनता है. इससे ईंट भट्ठा वाले क्षेत्र के आबादी को भारी नुकसान है.
मानकों को ताक पर रख कर होता कारोबार : ईंट भट्ठा संचालकों द्वारा मानकों को पूरी तरह से ताख पर रख कर कार्य किया जाता है. गलत ढंग से ईंट माफिया पैसा और पैरवी के बल पर पर्यावरण-प्रदूषण विभाग से एनओसी ले लेते हैं. उनके पास ईंट भट्ठा के चिमनियों से निकलने वाले प्रदूषण से विमुक्ति का कोई उपाय नहीं रहता है. सीधे गंगा में गंदगी को बहा दिया जाता है. जबकि गंगा किनारे मिट्टी की खुदाई में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जाती है.
दबंग ईंट भट्ठा संचालक गंगा के किनारे-किनारे जमीन खोदते है. जो नियानुसार नहीं होता है. सिर्फ शहर में 23 ईंट भट्ठा का संचालन हो रहा है. इसमें अधिकांश ईंट भट्टा कासिम बाजार क्षेत्र के गंगा और आबादी के बीचोंबीच चल रहा है. जबकि नियमानुसार आबादी बाहुल्य क्षेत्र में भट्ठा का संचालन नहीं होना है. हद तो यह है कि ईंट भट्ठा संचालन के लिए 1 अक्तूबर से 10 जून तक का एक सीजन होता है. जिसके लिए लाइसेंस दिया जाता है. लेकिन जिले में तो बाढ़ का समय छोड़ दे तो सालों भर भट्ठा का संचालन होता है.
कहते हैं पदाधिकारी
जिला खनन पदाधिकारी डॉ उपेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि पर्यावरण-प्रदूषण विभाग के गाइड लाइन पर ईंट भट्ठा का संचालन होता है. हमलोगों के पास जब भट्ठा संचालन के खिलाफ आवेदन आता है तो कार्रवाई जरूरी करते हैं. हाल ही में कासिम बाजार के दोमंठा घाट पर अवैध मिट्टी उत्खनन करते हुए दो ट्रैक्टर को जब्त किया गया है.
क्या है मानक
ईंट भट्ठा खोलने के लिए पर्यावरण प्रदूषण विभाग से एनओसी लेना है. पर्यावरण विभाग से अनुमति लेकर खनिज विभाग में आवेदन देना होता है, यहां से अनुमति मिलने के बाद बताये गये स्थान पर ईंट भट्टा लगाया जाता है. इतना ही नहीं कितने भूमि क्षेत्र में इसे खोलना है और कहां से मिट्टी की कटाई होनी है. इसके लिए संबंधित जमीन का दस्तावेज व लीज की कॉपी देनी पड़ती है. नियमानुकूल संबंधित जमीन से मात्र तीन मीटर गहराई तक मिट्टी का उत्खनन किया जाना है.
शहरी क्षेत्र में ईंट भट्ठा संचालन के लिए 1 लाख 3 हजार 500 रुपया लाइसेंस फीस है. इसके तहत एक सीजन में 35 लाख ईंट बनाने का प्रावधान है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में ईंट भट्ठा के लिए 74 हजार 500 रुपये निर्धारित है. जिसके तहत एक सीजन में 25 लाख ईंट तैयार किया जाना है.

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