मुंगेर
पाला बदल की राजनीति
मुंगेर विधानसभा क्षेत्र समाजवादियों व राजद की परंपरागत सीट रहा है. वैसे 2005 के बाद परिस्थिति बदली और इस सीट पर जदयू ने अपना कब्जा जमाया. लंबे समय तक जनता पार्टी के टिकट पर रामदेव सिंह यादव यहां से विधायक रहे. डॉ मोनाजिर हसन लगातार चार बार इस सीट से जीत चुके हैं.
1995 में पहली बार वे मुंगेर सीट से जनता दल के टिकट पर जीते व मंत्री बने थे. पुन: 2000 में राजद के टिकट पर जीते. बाद में उन्होंने पाला बदला और 2005 के फरवरी व अक्तूबर में हुए चुनाव में जदयू के टिकट पर विजयी हुए. जब पार्टी ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट से टिकट दिया तो मुंगेर में हुए उपचुनाव में भाजपा से पाला बदल कर राजद में शामिल हुए विश्वनाथ गुप्ता विजयी हुए.
2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने इस सीट पर खड़गपुर के विधायक अनंत कुमार सत्यार्थी को लड़ाया और वे यहां के विधायक बने. वर्तमान बदले राजनीतिक परिवेश में मुंगेर से भाजपा अब अपना उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है. हालांकि एनडीए में प्रत्याशी तय होना बाकी है.
इन दिनों
भाजपा व राजद-जदयू अपने-अपने हिसाब से तैयारी कर रहा है. जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है तो भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है.
मुद्दे
मुंगेर में गंगा रेल सह सड़क पुल का निर्माण
बरियारपुर व घोरघट पुल का निर्माण
इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज की स्थापना
जमालपुर
एनडीए में टिकट के कई दावेदार
जमालपुर विधानसभा क्षेत्र मुंगेर जिले का सबसे अहम क्षेत्र रहा है. इस सीट पर 1980 से 2005 तक लगातार 25 वर्षो तक उपेंद्र प्रसाद वर्मा का कब्जा रहा. वे जनता दल व राजद के टिकट पर चार बार चुनाव जीते एवं लालू-राबड़ी मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री भी रहे.
किंतु 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में भाजपा-जदयू गठबंधन के उम्मीदवार शैलेश कुमार ने उन्हें पराजित कर दिया. पुन: 2005 के अक्तूबरऔरनये परिसीमन के बाद 2010 में हुए चुनाव में भी शैलेश ने अपना कब्जा बरकरार रखा. नये परिसीमन के बाद खड़गपुर विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व खत्म हो गया और खड़गपुर का 11 पंचायत जमालपुर विधानसभा में जुड़ गया.
एनडीए गठबंधन के तहत इस सीट पर लोजपा अपनी दावेदारी मजबूत कर रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी लोजपा के प्रत्याशी साधना देवी द्वितीय स्थान पर रही थी. इस बार लोजपा से जहां हिमांशु कुमार अपनी दावेदारी जता रहे हैं. वहीं भाजपा से दिनेश सिंह भी प्रबल दावेदार हैं.
इन दिनों
भाजपा व राजद-जदयू अपने-अपने हिसाब से तैयारी कर रहा है. जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है तो भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है.
मुद्दे
धरहरा में सतघरवा जलाशय योजना को चालू करना
क्षेत्र में सड़क व पुल-पुलिया का निर्माण
पत्थर उद्योग को पुन: चालू करना
तारापुर
टिकट के लिए दावं-पेच
तारापुर विधानसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. अब तक छह बार कांग्रेस के प्रत्याशी इस सीट पर जीते. 1985 के बाद शकुनी चौधरी ने इस सीट पर कब्जा जमाया और उन्होंने लगातार तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया.
1998 के उपचुनाव में उनकी पत्नी पार्वती देवी समता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ कर जीतीं. पुन: 2000 एवं 2005 के चुनाव में राजद के टिकट से शकुनी चौधरी विजयी हुए. वे लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे. किंतु 2010 के चुनाव में जदयू की नीता चौधरी ने शकुनी चौधरी को पराजित कर दिया.
वर्तमान नये राजनीतिक परिदृश्य में इस सीट से लोजपा एवं भाजपा दोनों अपनी दावेदारी पेश कर रही है.एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष शकुनी चौधरी अपने पुत्र को चुनाव लड़ाना चाहते हैं.
इन दिनों
जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है. स्वाभिमान रैली की रैली हो रही है. भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है.
मुद्दे
तारापुर में सिंधवारिणी एवं बागरा जलाशय योजना
खैरावासियों को फ्लोराइड युक्त पेयजल की समस्या से निजात
क्षेत्र में सड़क व बिजली