प्रतिनिधि , बरियारपुर ठंड का मौसम आते ही तिलकुट की बिक्री बढ़ जाती है जो दिसंबर व जनवरी माह तक बिकती है. इन दिनों बरियारपुर बाजार में कुटीर उद्योग के तहत तिलकुट को बड़े पैमाने पर बनाया जा रहा है और नौवागढ़ी, लोहची एवं खड़गपुर बाजारों में सप्लाई किया जा रहा है. यहां की तिलकुट बहुत ही अच्छी व नामी है. व्यवसायी धीरज कुमार का कहना है कि तिलकुट बनाने के लिए अच्छे कारीगर की जरूरत होती है. बरियारपुर में सही कारीगर नहीं रहने के कारण गया के बार्सलीगंज से कारीगर लक्ष्मी प्रसाद को बुलाते हैं. लगातार सात वर्षों से दिसंबर व जनवरी माह में आधे दर्जन कारीगर यहां आकर काम करते हैं. उन्होंने बताया कि दो माह तक ही तिलकुट की बिक्री होती है.
उन्होंने सरकार से मांग किया कि कुटीर उद्योग का प्रावधान कर सालों भर बाजार उपलब्ध करायी जाय. ताकि हमलोगों का हमेशा रोजी-रोटी मिलती रहे. तरह-तरह के बनते हैं तिलकुट लोगों के पसंद के अनुसार विभिन्न तरह का तिलकुट बनाया जाता है. गुड़, खोवा, कम चीनी, पापड़ी एवं खास्तादार तिलकुट बनाया जाता है. लेकिन ज्यादा डिमांड खास्तादार चीनी युक्त तिलकुट की होती है जिसे लोग ज्यादा पसंद करते हैं. विभिन्न क्षेत्रों में होता है सप्लाई बरियारपुर का तिलकुट बरियारपुर से सटे नौवागढ़ी, लोहची, शामपुर एवं खड़गपुर के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भेजा जाता है. इतना ही नहीं लोग दूर से आकर भी यहां के तिलकुट खरीदते हैं. तिलकुट का मूल्य खोवा तिलकुट : 300 रु किलो कम चीनी वाला तिलकुट : 180 रु किलो पापड़ी तिकलुट : 160 रु किलो गुड़ वाला तिलकुट : 160 रु किलो