मुंगेर : पूर्ण शराबबंदी के बाद ताड़ी की बिक्री पर संशय की स्थिति बनी हुई थी. लेकिन सरकार ने ताड़ी नहीं बल्कि ताड़ व खजूर के पेड़ से निकलने वाले रस को नीरा का नाम दिया और इसके व्यवसायीकरण की योजना बनायी. नीरा बेचने के अलावा उसके बोतलीकरण, मिठाई, गुड़, तार मिश्री आदि बनाने की योजना बनायी. लेकिन न तो आज तक एक भी नीरा केंद्र बनाया गया और न ही नीरा से बनने वाले उत्पाद के लिए एक भी उत्पादन केंद्र ही खोला गया.
आज मुंगेर में धड़ल्ले से नीरा के नाम पर ताड़ी बेची जा रही है. मुंगेर में लगभग 63 हजार ताड़-खजूर के पेड़ है. इससे नीरा उतारने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से 203 आवेदकों ने उत्पाद विभाग में लाइसेंस के लिए आवेदन किया. विभाग ने भी सत्यापन कर त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक 196 लोगों को नीरा उतारने एवं उसकी बिक्री के लिए लाइसेंस दे दिया. लोग पेड़ से नीरा उतारने का काम भी प्रारंभ कर दिया. पेड़ से उतरने वाला रस तभी तक नीरा होता है
जब तक उसमें सूर्य की रोशनी नहीं पड़ी हो. नीरा को 6 डिग्री तापमान के नीचे रखकर बेचने का प्रावधान है. अगर इसे बोतलबंद कर सुरक्षित तापमान में रखा जाये तो एक से दो माह तक यह सुरक्षित रखा जा सकता है. लेकिन मुंगेर में नीरा का एक भी बोतलीकरण केंद्र नहीं खुल पाया है.
इतना ही नीरा से मिठाई, गुड़, जैम, आइस एप्पल, कैंडी बनाने के लिए केंद्र मुंगेर में नहीं खोला गया. आज भी भरी दोपहर व शाम में जिले के कई क्षेत्रों में ताड़ के पेड़ के नीचे नीरा के नाम पर ताड़ी बेची जा रही है. यहां लगी भीड़ नशेड़ियों की वर्तमान स्थिति बताती है.