Motihari news : चकिया. बिहार के प्रमुख लीची उत्पादक क्षेत्रों में अग्रणी मेहसी अब ‘लीची की राजधानी’ के रूप में अपनी पहचान को और मजबूत करता दिखाई दे रहा है. इस बात की झलक तिरहुत उच्च विद्यालय में आयोजित 17वें लीचीपुरम उत्सव-2025 में स्पष्ट दिखाई दी.यह आयोजन लीची की खेती, विज्ञान, परंपरा और लोकसंस्कृति का अनूठा संगम रहा. जिसमें देशभर से आए वैज्ञानिकों, कलाकारों और किसानों ने भाग लिया.लीची अनुसंधान केंद्र, मुसहरी (मुजफ्फरपुर) के निदेशक डॉ. विकास दास ने अपने संबोधन में कहा कि मेहसी में मौजूद दो से तीन सौ साल पुराने शाही लीची के वृक्षों को बिहार की धरोहर घोषित कर उसे सरकारी संरक्षण और जियो-टैगिंग के दायरे में शीघ्र लाया जाएगा.उन्होंने इस ऐतिहासिक वृक्ष को रजिस्टर्ड करने की प्रक्रिया भी शुरू करने की बात कही. इस अवसर पर 40 पन्नों की एक रंगीन स्मारिका पुस्तक का विमोचन भी किया गया, जिसमें मेहसी की लीची विरासत और इस आयोजन की यात्रा को दर्शाया गया है.सत्र को लीची वैज्ञानिक डॉ उपज्ञ्या,डॉ. आलोक मिश्रा ने भी संबोधित किया.इस मौके पर आयोजन समिति के सदस्यों सहित अन्य मौजूद थे.
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