मोतिहारी. पूर्वी चंपारण की जनसंख्या दर 3.2 प्रतिशत है. जिले की तेजी से बढ़ती आबादी को लेकर रेड जोन में रखा गया है. बिहार के सात रेड जोन जिलाें में पूर्वी चंपारण के अलावा पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सहरसा, मधेपुरा, किशनगंज और अररिया शामिल हैं. इसके साथ ही पूर्वी चंपारण बिहार का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला जिला भी बन गया है. आकड़ों के मुताबिक पूर्वी चंपारण की जनसंख्या 67 लाख 57 हजार 233 हो गयी है. वहीं पटना जिला की कूल आबादी 68 लाख के करीब है. जनसंख्या में तेजी से इजाफा के पीछे माना जा रहा है कि लोगों में जानकारी का अभाव है. हालांकि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार भी पूरी तरह गंभीर है. इसको लेकर रेड जोन खासकर रेड जोन वाले जिलों में परिवार नियोजन को लेकर विशेष जागरूकता अभियान चला रही है. ताकि जनसंख्या दर को नियंत्रित किया जा सके.
29 मार्च तक परिवार नियोजन पखवाड़ा
सरकार की पहल पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 29 मार्च तक परिवार नियोजन पखवाड़ा मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जागरूक करना है. इसको लेकर जिला स्तर से सारथी रथ रवाना किया गया है, जो सभी प्रखंड व गांव-गांव तक भ्रमण कर रहा है. डीसीएम नंदन झा ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाने के उद्देश्य से पूर्वी चंपारण जिला के अंतर्गत सभी 27 प्रखंडों के स्वास्थ्य संस्थानों में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन किया गया है. मिशन परिवार विकास अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बैनर, पोस्टर, माइकिंग द्वारा लोगों को सही उम्र में शादी, पहले बच्चे में देरी, बच्चों के बीच सही अंतर तथा छोटे परिवार के लाभ के बारे में जागरूक किया जा रहा है. इस दौरान आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा योग्य दंपत्तियों से संपर्क किया जा रहा है. साथ ही विशेष अभियान चलाकर जिले में परिवार नियोजन का लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास जारी है.
सेवा प्रदान के साथ लक्ष्य का निर्धारण
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर परिवार नियोजन सेवाओं के तहत कॉपर-टी, गर्भनिरोधक सूई या एमपीए बंध्याकरण एवं नसबंदी की सेवा प्रदान की जा रही है. वहीं जिला स्वास्थ्य महकमा ने महिला बंध्याकरण का 2150, पुरुष नसबंदी 160, आयुसीडी 4 हजार 3 सौ 55, अंतरा सुई 6 हजार 6 सौ 85, माला 94 हजार 700, कंडोम 02 लाख 37 हजार 450. इसीपी 47 हजार 300, छाया टेबलेट 94 हजार 700 का लक्ष्य रखा है.
महिला बंध्याकरण व पुरुष नसबंदी की निःशुल्क व्यवस्था
सरकारी अस्पतालों में महिला बंध्याकरण व पुरुष नसबंदी की निशुल्क व्यवस्था है. महिला बंध्याकरण से पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया सरल है. छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुष को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है. सरकार नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपये व महिला बंध्याकरण के लिए लाभार्थी को 2000 रुपये की प्रोत्साहन की राशि दे रही है. वहीं चिकित्सकों ने दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रखने को बेहतर बताया है.
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