मोतिहारी. लोक आस्था के महान पर्व के दूसरे दिन व्रतियों द्वारा खरना का व्रत रखा गया. इसके साथ ही व्रतियों द्वारा 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हो जायेगा. व्रतियों द्वारा रविवार को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़, दूध एवं चावल से बने खीर एवं घी में बने रोटी एवं केला रख कर छठी मईया को प्रसाद के रूप में रसियाव अर्पित किया गया. इसके बाद व्रती महिलाओं के द्वारा प्रसाद ग्रहण किया गया. उसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों एवं ईष्ट मित्र के बीच प्रसाद वितरण किया गया. लोगों श्रद्धा भक्ति के इस प्रसाद को ग्रहण किया गया. इसके बाद से व्रतियों द्वारा 36 घंटे का निर्जला शुरू हो जायेगा. सोमवार को व्रतियों द्वारा संध्याकालीन अर्घ अर्पित किया जायेगा. आचार्य सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि भगवान सूर्य की पूजा करने की परंपरा अनादिकाल से भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में व्याप्त है. क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही चंद्र भी प्रकाशित होते है एवं तारे भी चमकते है, जो ग्रहों एवं नक्षत्रों के रूप में माने जाते है. भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता माने जाते है.
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