Bihar : बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. इसी कड़ी में महागठबंधन की पहली औपचारिक बैठक गुरुवार को पटना में आयोजित की जाएगी. विपक्ष की इस अहम बैठक में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और तीनों वाम दलों (सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई-एमएल) के साथ-साथ कुछ अन्य दलों के नेता भी शिरकत कर सकते हैं.
इन दो नेताओं को भी भेजा गया न्यौता
बैठक का मुख्य एजेंडा सीट बंटवारा, चुनाव प्रचार की रणनीति और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर सहमति बनाना है. वहीं, चर्चा है कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के अध्यक्ष पशुपति पारस और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी को भी बैठक का न्यौता भेजा गया है. दोनों नेताओं की उपस्थिति को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा है, क्योंकि इनका रुख आगामी चुनाव में समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
इस नेता पर होगी नजर
पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, वाम दलों और वीआईपी समेत कुल 6 दल शामिल थे. हालांकि चुनाव के बाद वीआईपी और आरजेडी-कांग्रेस के बीच कई बार तल्खी देखने को मिली, जिससे यह कयास लगाए जा रहे थे कि वीआईपी गठबंधन छोड़ सकती है. लेकिन बुधवार को मुकेश सहनी ने स्पष्ट किया कि वे फिलहाल महागठबंधन में ही हैं. अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वे आज की बैठक में शामिल होते हैं या नहीं।
पशुपति पारस की चुप्पी, लेकिन संकेत साफ
दूसरी ओर, रालोजपा प्रमुख पशुपति पारस ने हाल ही में एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा कर महागठबंधन में जाने की संभावनाएं बढ़ा दी हैं. सूत्रों के अनुसार, वे भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं, हालांकि उन्होंने मंगलवार को मीडिया को बताया कि उन्हें कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है. बावजूद इसके, उनकी अगली राजनीतिक चाल पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
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राहुल गांधी और तेजस्वी की दिल्ली में मुलाकात
महागठबंधन की इस अहम बैठक से ठीक पहले मंगलवार को नई दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की मुलाकात भी सुर्खियों में रही. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई इस मुलाकात में लगभग एक घंटे तक बिहार की राजनीतिक स्थिति और आगामी रणनीति पर चर्चा हुई. हालांकि बैठक में किस बात पर चर्चा हुई यह जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन कांग्रेस ने संकेत दिया कि इसमें गठबंधन की भविष्य की कार्यशैली को लेकर विचार-विमर्श हुआ. अब सभी की निगाहें पटना की बैठक पर हैं, जहां महागठबंधन की चुनावी तस्वीर और संभावित गठबंधन की दिशा तय हो सकती है.
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