मधुबनी.
जिले के कुपोषित बच्चों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा एवं कुपोषण मुक्त करने के लिए सरकार की ओर से पोषण पुनर्वास केंद्र अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर में संचालित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य जिले में कुपोषण को दूर कर सभी बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, लेकिन विडंबना है कि पोषण पुनर्वास केंद्र में दिसंबर 2022 से लेकर 14 फरवरी 2024 तक महज 113 बच्चों को भर्ती किया गया. इसमें 62 कुपोषित बच्चों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया. वहीं, 14 बच्चों को बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया. जबकि 34 बच्चों के परिजनों ने पदाधिकारी को बिना जानकारी दिये वहां से निकल गये. वहीं, अप्रैल 2024 से 23 फरवरी 2025 तक 76 बच्चों को भर्ती कर इलाज के बाद घर भेज दिया गया. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में 2 बच्चे को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. इस संबंध में बीते शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में इसे गंभीरता से लेते हुए डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि यह आंकड़ा दर्शाता है कि जिले के आंगनबाड़ी केंद्र, आरबीएसके टीम व ओपीडी में पाए गए कुपोषित बच्चों को एनआरसी में नहीं भेजा जा रहा है. डीएम ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं बीसीएम को अधिक से अधिक संख्या में आरबीएसके की टीम व ओपीडी में चिह्नित कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजने का निर्देश दिया है. डीएम ने कहा है कि निर्धारित बेड के अनुसार शत-प्रतिशत बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाए.10.9 प्रतिशत बच्चों को ही मिलती है पोषण युक्त भोजन
कुपोषण छोटे उम्र के बच्चों के मौत की सबसे बड़ा कारण है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़े बताते हैं, कि जिले में 6 से 23 माह के महज 10.9 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है. इसमें शहरी क्षेत्र के 9.2 तथा ग्रामीण क्षेत्र के 1.7 बच्चे है. जिसका सबसे बड़ा कारण कम उम्र में शादी, अज्ञानता, उच्च प्रजनन दर बच्चों के कुपोषित होने की बड़ी वजह है.बच्चे को केंद्र में भर्ती करने से पहले रखा जाता है कई मानकों का ध्यान
बच्चों को केंद्र में भर्ती करने से पहले कई मानकों का ध्यान रखा जाता है. केंद्र में पांच साल तक के बच्चों के बांह की मोटाई, स्वास्थ्य संबंधी जटिलता सहित कुछ गंभीर लक्षणों के आधार पर बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता है. लगातार डायरिया, बुखार व डिहाइड्रेशन जैसी समस्या की वजह से कमजोर बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता है. उम्र के हिसाब से लंबाई, ऊंचाई व वजन नहीं होने पर भी बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता हैं.सघन जांच के बाद होता है बच्चों के डाइट का निर्धारण :
केंद्र में भर्ती होने के बाद बच्चों के भूख का परीक्षण होता है. इसके आधार पर बच्चों के डाइट का निर्धारण होता है. निर्धारित प्रक्रिया व तय मानकों के आधार पर बच्चों के लिए विशेष डाइट तैयार किया जाता है. जिसे एफ-75 व एफ-100 के नाम से जाना जाता है. वस्तुत: जो एक फार्मूला मिल्क होता है. इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व व निर्धारित मात्रा में कैलोरी मौजूद होता है. पर्याप्त पोषाहार, जरूरी मेडिकल सप्लीमेंट व उचित सलाह व परामर्श से बच्चों की सेहत में तेजी से सुधार परिलक्षित होने लगता है.केंद्र में दाखिल बच्चे की मां को मिलती है सुविधा
डीएम ने कहा कि केंद्र में दाखिल बच्चों के रहने व खाने का नि:शुल्क इंतजाम है. रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली सामग्री साबुन, तेल, सर्फ सहित अन्य सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है. इतना ही नहीं श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बच्चे की मां को सरकार द्वारा प्रति दिन के हिसाब से 100 रुपये का भुगतान किया जाता है.
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