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जेएमडीपीएल महिला कॉलेज में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशनल प्लैनिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा प्रायोजित एवं समाधान द्वारा आयोजित जेएमडीपीएल महिला महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार के उद्घाटनकर्ता ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य डॉ अमर कुमार थे. राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन डॉ प्रेम कुमार प्रसाद, डॉ अमर कुमार सहित अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया.

मधुबनी . नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशनल प्लैनिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा प्रायोजित एवं समाधान द्वारा आयोजित जेएमडीपीएल महिला महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में गुरुवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएम साइंस कॉलेज दरभंगा के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद थे. जबकि सेमिनार के उद्घाटनकर्ता ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य डॉ अमर कुमार थे. राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन डॉ प्रेम कुमार प्रसाद, डॉ अमर कुमार सहित अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. इससे पूर्व अतिथियों का पाग दोपटा पहनाकर कर स्वागत किया गया. सेमिनार का विषय था बिहार जैसे विकासशील राज्य में कोविड-19 महामारी का प्रभाव और तत्कालीन विकट स्थिति के दौरान शिक्षा प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के उपाय. मुख्य वक्ता के रूप में डॉ प्रेम कुमार प्रसाद ने कहा कि कोविड-19 एक महामारी थी. कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षण संस्थानों को पूरे विश्व में अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया. कोरोना काल में सरकार द्वारा ऑनलाइन क्लासेस प्रारंभ की गई. छात्र-छात्राओं को ज्ञान प्राप्त करने का एक नया अवसर मिला. ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से मात्र 28 प्रतिशत छात्र ही वर्चुअल माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर पाए. बिहार जैसे विकासशील राज्य में आधारभूत संरचनाओं जैसे लैपटॉप मोबाइल इंटरनेट आदि की सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में नहीं होने की वजह से वे ऑनलाइन क्लासेस से वंचित रह गए थे. डॉ प्रसाद ने कहा कि सरकार के स्तर से इन सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को उपलब्ध कराने पर बल दिया. साथ ही भविष्य में आने वाली ऐसी आपदाओं का सामना करने के लिए शिक्षा के लिए आधारभूत संरचनाओं को सरकारी स्तर पर सुदृढ़ करना होगा. सिंडिकेट सदस्य डॉ अमर कुमार ने कहा कि बिहार एक गरीब राज्य है जहां ग्रामीण स्तर पर अभी भी मात्र 40 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल उपलब्ध है. ऐसी स्थिति में महामारी के समय निर्धन छात्रों के लिए वर्चुअल माध्यम से क्लास करना संभव नहीं हुआ. डॉ वाई एल दास ने कहा कि ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षा का पूर्ण विकास नहीं हो सकता. सभी शिक्षण संस्थानों में वर्चुअल लैब की व्यवस्था होनी चाहिए. जब छात्र एवं अभिभावक डिजिटल पढ़ाई की सुविधा के लिए जागरूक होंगे तभी सरकार छात्रों को सुविधा देगी. स्वागत भाषण डॉ लाल बाबू साह ने प्रस्तुत किया. जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनय कुमार दास ने किया. सेमिनार की अध्यक्षता रामराजी सिंह ने किया. जबकि धन्यवाद ज्ञापन श्वेता ने किया. सेमिनार में डॉ चंद्रगुप्त कुमार शर्मा, डॉ बीबी राय, बृज किशोर भंडारी सहित मौजूद छात्राओं ने विषय पर प्रकाश डाला.

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