मधुबनी.
स्वावलंबी बनकर अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली जीविका दीदियां अब पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं. दीदी की नर्सरी के पौधे से मधुबनी की धरा में हरियाली आ रही है. स्वरोजगार के अवसर बढ़ने से हरियाली को भी बढ़ावा मिल रही है. दीदियों के नर्सरी में तैयार पौधे उनसे वन विभाग एवं मनरेगा द्वारा खरीदारी किए जाने का एग्रिमेंट है. इसके लिए जीविका दीदी को हर संभव मदद भी किया जा रहा है. जिले में जीविका की दीदी द्वारा 27 नर्सरी में पौधा तैयार किया जा रहा है. इनमें से 12 नर्सरी का पौधा वन विभाग खरीद करेगी. 15 नर्सरी का पौधा मनरेगा द्वारा खरीदा जाएगा. विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार द्वारा जीविका दीदियों के पौधों को खरीद करेगी. इस तरह उन्हें स्वरोजगार का अवसर भी प्राप्त हो रहा है. इससे पोषण और पर्यावरण सुरक्षा भी पूरा किया जा सकेगा. पहले पौधारोपण के लिए दूसरे राज्यों से पौधा मंगाने पड़ते थे. इससे उसकी खरीद महंगी होती थी और दूर से आने पर कई पौधा मर भी जाता था. स्थानीय स्तर पर पौधा उपलब्ध होने से सस्ता और गुणवत्ता पूर्ण मिल रहा है. जिससे हरित आवरण का लक्ष्य को ससमय पूरा किया जा सकेगा.दीदी की नर्सरी से मिल रहा स्वरोजगार के अवसर
दीदी की नर्सरी से हरियाली आच्छादन कार्यक्रम को भी सफलता मिल रही है. सरकार के इस पहल से अब दूसरे राज्यों से पौधे की खरीदारी के लिए निर्भरता समाप्त हो जाएगी. जीविका दीदियों के द्वारा नर्सरी में इमारती, फलदार पौधा लगाने का कार्य कर रही हैं, इससे दीदी स्वावलंबी हो रही है. नर्सरी के कार्य में दीदी को एक वर्ष में एक से 1.25 लाख रुपये का मुनाफा होता है. वहीं इस वर्ष वन विभाग द्वारा 20 रुपये प्रति पौधे की दर से भुगतान किया जाना है. नर्सरी संचालित करने वाली दीदी को इस वर्ष दोगुणा लाभ होगा. पौधाशाला के लिए जीविका दीदीयों को समय समय पर प्रशिक्षण भी दिया गया है.नर्सरी के लिए तय की गई हैं शर्तें
नर्सरी लगाने के लिए चयनित अभ्यर्थी के पास कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए. यह जमीन गांव के अंदर भी हो सकती है, लेकिन उस भूखंड का जुड़ाव किसी न किसी प्रकार से सड़क से हो. ताकि वहां पौधों की ढुलाई एवं आपूर्ति में कोई कठिनाई नहीं हो. मालूम हो कि मनरेगा में 20 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से खरीद होती है. इस हिसाब से बिक्री के बाद अन्य सभी खर्चों को काटने के बाद यह आय संभावित है. अभी मधुबनी में 27 नर्सरी चल रही हैं. जीविका दीदी ही ये नर्सरी चला रही हैं. सभी जगह पौधे तैयार किए जा रहे हैं. विभाग के अनुमान के मुताबिक नर्सरियों से एक दीदी को एक लाख से अधिक की सालाना आय संभावित है.सात से 10 लोगों को मिल रहा रोजगार
ग्रामीण विकास विभाग का प्रयास है कि दीदियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए. इसीलिए सरकार यह गारंटी ले रही है कि उनकी पौधशाला से कम से कम 20 हजार पौधों की खरीद हो जाए. गरीबी दूर करने का एक माध्यम दीदी की नर्सरी होगी. एक नर्सरी में बीस हजार से अधिक पौधे तैयार किये जा रहे हैं. दीदी की नर्सरी में सात से 10 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. इससे महिलाओं की आय लगातार बढ़ रही है. जीविका की ओर से लगातार इसका विस्तार किया जा रहा है. उन्हें प्रशिक्षित कर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है और उनके पौधों की खरीदारी की भी व्यवस्था की गई है. नर्सरी से दीदी आर्थिक रूप से सशक्त भी हो रही हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक मो़ वसीम अंसारी ने कहा कि मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के तहत दीदी की नर्सरी से दीदियों को इस कार्य से जोड़ा गया है. इससे उनकी अच्छी आमदनी हो रही है. जीविका दीदी के 27 नर्सरी में पौधा तैयार किया गया है. प्रत्येक दीदी की नर्सरी से 20 हजार पौधों की आपूर्ति की जा रही है. इस एवज में वन विभाग व मनरेगा द्वारा पौधे की निर्धारित दर से भुगतान भी किया जा रहा है.
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