8.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

गर्मी बढ़ते ही मिट्टी के घड़े व सुराही की बढ़ी डिमांड

गर्मी बढ़ते ही देसी फ्रिज यानी मिट्टी के घड़े, सुराही की डिमांड भी बढ़ गई है.

मधुबनी . गर्मी के तीखे तेवर ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. शहर में अधिकांश चापाकल दिन में पानी देना बंद कर दिया है. रात में किसी तरह मोटर से पानी खींचा जा रहा है. गर्मी बढ़ते ही देसी फ्रिज यानी मिट्टी के घड़े, सुराही की डिमांड भी बढ़ गई है. जगह-जगह घड़े और सुराही की दुकानें सज गई है. लोग खरीदारी भी कर रहे हैं. जिले में भी में गर्मी बढ़ते ही घड़े और सुराही की बिक्री बढ़ गई है. लोग गर्मी से बचने के लिए मिट्टी के घड़े, सुराही आदि खरीद रहे हैं. फ्रिज अथवा कूलर की बिक्री में बढ़ोत्तरी आए या न आए, लेकिन मिट्टी से बने बर्तनों की बिक्री में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. बहुत लोग फ्रिज का ठंडा पानी नहीं पीते. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है. ऐसे लोग गर्मी से राहत के लिए मिट्टी के बर्तनों का ही सहारा लेते हैं. इन दिनों अप्रैल माह में ही सूर्य की तपिश ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. गर्मी से बचने के लिए लोग हर विकल्प की तलाश में रहते हैं. इन्हीं विकल्पों में से एक मिट्टी का घड़ा और सुराही है. मिट्टी के घड़े का क्रेज यह कि सुविधा संपन्न व्यक्ति भी घर में फ्रीज रहते हुए भी घड़े के पानी को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. वजह सिर्फ इतनी है कि घड़े के पानी से गर्मी में कोई साईड इफेक्ट नहीं होता. ऊपर से सोंधी खुशबू के बीच घड़े का एक ग्लास पानी गले को एक अलग ही प्रकार की ठंड का अहसास कराता है. मिट्टी के बर्तन विक्रेता कमल पंडित व राजू पंडित ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही घड़ा, सुराही की बिक्री में तेजी आयी है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग काफी संख्या में घड़े खरीदकर ले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उसके यहां 200 से लेकर 600 रुपये तक के घड़ा एवं सुराही उपलब्ध है. गर्मी के दिनों में इसकी डिमांड बढ़ जाती है. लेकिन कुम्हारों की पीड़ा यह है कि अब इस काम में उतनी कमाई नहीं रह गई है. महंगाई के दौर में चार लोगों का परिवार चलाना मुश्किल है. पहले लोग मिट्टी के बर्तन में खाना भी पकाते थे. लेकिन समय परिवर्तन से लोगों के जीने का तरीका बदला. अब एल्युमिनियम, स्टील, फाइबर एवं प्लास्टिक के बर्तनों ने मिट्टी के बर्तन को खत्म कर दिया. ग्रामीण परिवेश के किचन से चार दशक पहले ही मिट्टी के बर्तन पूरी तरह गायब हो गए. कुम्हारों का कहना है कि इस साल बड़ी मात्रा में मटका तैयार किया है. इसके लिए हजारों रुपए खर्च करना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस महंगाई के समय में 2000 रुपए ट्रैक्टर मिट्टी व 8 से 10 रुपए किलो लकड़ी की कीमत हो गयी है. जिसके कारण अब मिट्टी का बर्तन भी काफी महंगा हो गया है. लेकिन मांग के अनुरूप अलग-अलग डिजाइन के मटका तैयार किया गया है. साथ ही इस बार ज्यादातर लोग टोटी लगे मटके की मांग कर रहे हैं. ये मटके सामान्य मटके से 50 रुपए अधिक रेट पर बिक रहा है.

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel