ठंढ़ में ठिठुरने वाले असहायों बचाव के लिए तैयार है निगम का आश्रय स्थल, प्रचार प्रसार नहीं होने से नहीं पहुंच रहें है लोग, सात दिन से रुके हैं सिर्फ 20 लोग, तीन मंजिला भवन में लगे हैं 50 बेड
मधुबनी . गरीब रिक्शा-ठेला चालक हैं या फिर कोई राहगीर, रात हो गयी है तो ठंड में ठिठुरने की जरूरत नहीं. शहर के आश्रय गृह आइये और ठंड में ठौर पाइये. आश्रय गृह में रात गुजार कर सुबह सकुशल गंतव्य की और निकल सकते हैं. सरकार की पहल पर नगर निगम की ओर से ठंड के इस मौसम में इस तरह के लोगों के लिए आश्रय गृह खोलकर रखा गया है. जहां ठंड से बचाव के पूरे इंतजाम किये गये हैं. नगर निगम के कर्मचारी यहां सुविधा मुहैया कराने के लिए हमेशा तत्पर हैं. इस भीषण ठंड में अहसाय लोग और ठेला, रिक्शा चालक सबसे ज्यादा परेशान हैं. वे लोग शाम ढलते ही आशियाने के लिए इधर-उधर भटकते हैं. जब कहीं कोई ठौर नहीं मिलता है तो चौक-चौराहे की किसी दुकान के नीचे, रेलवे स्टेशन या मंदिर में किसी तरह रात बिताने की कोशिश करते हैं. मगर सर्द पछुआ हवा उन्हें सोने भी नहीं देती. लेकिन उनकी जरूरत महसूस करते हुए नगर निगम ने आश्रय गृह बना रखा है. इन आश्रय गृहों में लोग ठंड से अपनी सुरक्षा सहज रूप से कर सकते हैं.
आश्रय गृह में रहने के लिए कोई शुल्क देय नहीं
नगर निगम के आश्रय गृह में रहने के लिए कोई शुल्क देय नहीं है. यहां कोई भी नि:शुल्क रह कर ठंड से बचाव कर सकते हैं. आश्रय गृह में बेड के साथ ओढ़ने के लिए कंबल व तकिया की भी व्यवस्था है. मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी भी दी जाती है. हालांकि यहां ऐसे भी लोग रात में रह सकते हैं जिन्हें देर रात कहीं जगह नहीं मिली. वे यहां आराम से रात बिता सकते हैं. यदि भोजन चाहिए तो इसके लिए ऑर्डर देना पड़ता है. यदि ज्यादा लोग पहुंच गये और उन्हें भोजन चाहिए तो आश्रय गृह में ही व्यवस्था की जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

