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चपरासी देते हैं मरीजों को दवा

लापरवाही. सदर अस्पताल में दस फर्मासिस्ट के पद, केवल दो पदस्थापित मुख्य दवा भंडार में भी दवा देने के लिए फर्मासिस्ट नहीं मधुबनी : सदर अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीज के जिंदगी के साथ अस्पताल प्रशासन खिलवाड़ कर रहा है. मरीजो को कब घाव की दवा के स्थान पर निंद की दवा या […]

लापरवाही. सदर अस्पताल में दस फर्मासिस्ट के पद, केवल दो पदस्थापित

मुख्य दवा भंडार में भी दवा देने के लिए फर्मासिस्ट नहीं
मधुबनी : सदर अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीज के जिंदगी के साथ अस्पताल प्रशासन खिलवाड़ कर रहा है. मरीजो को कब घाव की दवा के स्थान पर निंद की दवा या फिर अन्य दवा दे दी जाये यह कहा नहीं जा सकता है. दरअसल सदर अस्पताल में फर्मासिस्ट के बदले चतुर्थवर्गीय कर्मी दवा का वितरण करते हैं. ऐसे में मरीजों को दवा दिये जाने के समय गड़बड़ी से इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं पूरे जिला में भेजी जाने वाली दवा के मुख्य भंडार गृह से दवा की आपूर्ति भी फर्मासिस्ट नहीं करते हैं. यहां भी संगणक ही दवा का वितरण पूरे जिला भर के लिये करते है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि इनके पास इतना अनुभव है कि गड़बड़ी की संभावना नहीं के बराबर है.
दो फर्मासिस्ट हैं पदस्थापित
सदर अस्पताल में फर्मासिस्ट का दस पद सृजित है. जिसके विरुद्ध मात्र दो फर्मासिस्ट ही पदस्थापित है. . एक सदर अस्पताल दवा भंडार में कार्यरत है. वहीं दूसरा फर्मासिस्ट पोस्टमार्टम में कार्यरत है. जबकि पूरे जिला को दवा का वितरण जिस मुख्य दवा भंडारगृह से होती है वहां भी फर्मासिस्ट की जगह संगणक द्वारा कार्य संपादित किया जा रहा है. जबकि उक्त दवा भंडार से पूरे जिले के पीएचसी समेत अनुमंडलीय व रेफरल अस्पतालों में दवा भेजा जाता है.
कर्मी करते हैं दवा
का वितरण
सदर अस्पताल के ओपीडी में फर्मासिस्ट के नहीं रहने से दवा वितरण का कार्य चतुर्थवर्गीय कर्मी व अन्य कर्मियों से कराया जाता है. ज्ञात हो कि ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 400 सौ से उपर मरीज इलाज को आते हैं. जिसका दवा चतुर्थ वर्गीय कर्मी वितरण करते हैं.

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