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कोर्ट परिसर से टूटे पेड़ को हटाने की पहल नहीं
उपेक्षित हाल व्यवहार न्यायालय के विभिन्न भवनों का, कई भवन जर्जर, दहशत में अधिवक्ता व पक्षकार मधुबनी : विगत दिनों व्यवहार न्यायालय के एक भवन के छज्जी टूटकर गिर जाने के बाद भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता द्वारा निरीक्षण तो किया गया. पर इसमें अब तक कोई सुधार या मरम्मति की पहल नहीं हो […]
उपेक्षित हाल व्यवहार न्यायालय के विभिन्न भवनों का, कई भवन जर्जर, दहशत में अधिवक्ता व पक्षकार
मधुबनी : विगत दिनों व्यवहार न्यायालय के एक भवन के छज्जी टूटकर गिर जाने के बाद भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता द्वारा निरीक्षण तो किया गया. पर इसमें अब तक कोई सुधार या मरम्मति की पहल नहीं हो सकी है. निरीक्षण को भी अब करीब दो तीन माह बीत गया है. इससे भवन निर्माण विभाग की कार्यशैली सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ी कर दी है. नौबत यह है कि कई भवन जर्जर व क्षतिग्रस्त हैं. व्यवहार न्यायायल में काम करने वाले अधिवक्ता, मुसिफ सहित जिले से हर रोज आने सैकडों लोगों में अंजाने दुर्घटना को लेकर भय व्याप्त है.
टूटे पेंड़ तक नहीं हटा
भवन निर्माण विभाग अपने कार्य को लेकर गंभीर नहीं है. विगत 29 जुलाई को व्यवहार न्यायालय में एक पुराना पेड़ टूट कर गिरा. पर एक माह बीत जाने के बाद भी अब तक इस पेंड़ को नहीं हटाया गया है. न्यायालय सूत्रों के अनुसार इस पेड़ को भवन निर्माण विभाग को ही हटाना था. पर ऐसा नहीं हो सका है. जिस कारण न्यायालय में आने जाने वालो को भारी परेशानी हो रही है.
हादसे में बचे थे न्यायाधीश
मिली जानकारी के अनुसार भवन जर्जर रहने के कारण एक बार पूर्व के जिला एवं जिला बनने के बाद 1978 ई. से जिला सत्र न्यायाधीश का कोर्ट प्रारंभ हुआ.
इसी दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश का इजलास बना. सन 2008 में तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोविद चंद्रायण इजलास पर किसी मामले की सुनवाइ कर रहे थे. इसी दौरान छत से प्लास्टर का बड़ा टुकड़ा न्यायाधीश के बगल में आकर गिरा था. जिसमें न्यायाधीश श्री चंद्रायन बाल बाल बच गये थे. उक्त कार्यालय में बरसात में परेशानी होती है. खास कर किशोर न्याय परिषद का तो यह आलम रहता है कि कर्मी को बैठने तक की जगह नहीं रहती है. ऐसे में अभिलेख को पानी से बचाना कर्मियों के लिये चुनौती बन जाता है.
निर्माण िवभाग की खानापूरी
मिली जानकारी के अनुसार विगत दिनों जिस न्यायालय भवन का छज्जी टूटकर गिरा था उसका निर्माण साल 89-90 में किया गया था.
समय समय पर रंग रोगन व मरम्मित का काम भी किया जाता है. मिली जानकारी के अनुसार भवन निर्माण विभाग के द्वारा अक्टूबर 15 में उक्त भवन की मरम्मति कराया गया था. इस दौरान पूरे भवन की मरम्मति करायी गयी थी. पर मरम्मति के सात माह बाद ही भवन के छज्जी का टूटकर गिरना कार्य के गुणवत्ता को सामने ला दिया है.
जल्द होगी मरम्मत
भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी रविंद्र प्रसाद सिहं ने बताया है कि जल्द ही भवन की
मरम्मति करायी जायेगी. निरीक्षण किया जा चुका है.
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