मधुबनी : नगर परिषद क्षेत्र में पांच वर्षों में लगे चापाकल में कथित तौर पर व्यापक रूप से अनियमितता की बातें सामने आ रही है. इसमें सबसे अधिक मामला वार्ड 22 व 28 का है. जानकारी के अनुसार इन दोनों वार्ड में ही 28 चापाकल हैं जिनकी जांच की जानी है. इस अनियमितता की जांच को लेकर नप प्रशासन ने पहल तो शुरू की पर यह महज कार्यालय व बैठक तक ही सिमट कर रह गया है. सदस्यों ने जांच नहीं शुरू होने पर एतराज जताया है.
दरअसल, जून 2017 में नये बोर्ड के गठन के बाद 13 सितंबर को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव संख्या 4 पर बहस करते हुए सदस्यों ने वार्ड संख्या 1 से 30 वार्डो में चालू एवं बंद चापाकलों की सूची उपलब्ध कराने की मांग की थी. इसके लिए 14 सितंबर को नगर परिषद के चापाकल मिस्त्री मकबूल अहमद को सूची उपलब्ध कराने के लिए कार्यालय आदेश दिया गया था. पर इसका जवाब नहीं दिया गया. 14 नवंबर को सशक्त स्थायी कमेटी ने प्रस्ताव संख्या चार के माध्यम से इस मामले की जांच होने तक भुगतान पर रोक लगाते हुए जांच कमेटी का गठन किया गया. पर 22 दिन बीतने के बाद भी कमेटी के सदस्यों को मनोनयन पत्र नहीं मिला. इससे तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. सूत्रों को कहना है कि अगर इसकी जांच ठीक ढंग से हो तो इस योजना में दर्जनों चापाकल को लेकर अनियमितता उजागर हो सकती है. अब सवाल उठता है कि सूची नहीं सौंपने वाले कर्मी पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गयी.
पांच सदस्यीय कमेटी का गठन
दरअसल, नये बोर्ड के गठन के बाद शहर में लगे चापाकल की शिकायत लोगों ने सदस्यों से की थी. मुख्य पार्षद ने सदस्यों की बात को प्रमुखता से लेते हुए सशक्त स्थायी समिति में प्रस्ताव लाकर इसकी जांच की मांग की. 13 सितंबर की बैठक में चापाकल मिस्त्री से 1 से 30 वार्डो में लगे चापाकल की सूची उपलब्ध कराने की मांग की गयी. इसके लिए कार्यालय आदेश भी मिला पर कर्मी द्वारा सूची उपलब्ध नहीं करायी गयी. 14 नवंबर को सशक्त स्थायी कमेटी की बैठक में भुगतान पर रोक लगाते हुए जांच कमेटी का गठन किया गया. नप उपाध्यक्ष बारिस अंसारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन हुआ. जिसमें जयशंकर साह, मनीष कुमार सिंह, अरुण राय तथा धर्मवीर प्रसाद शामिल है.
सदस्यों ने जतायी आशंका. शहर में लगे चापाकलों की जांच के लिए गठित 5 सदस्यों में से दो सदस्य जयशंकर साह तथा धर्मवीर प्रसाद ने कहा कि सशक्त समिति के निर्णय के बाद जांच कमेटी बनी. पर 22 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक मनोनयन पत्र नहीं मिला है. नप प्रशासन की मंशा ठीक नहीं लगती. इतने दिनों में तो जांच भी हो जानी चाहिए.
सदस्यों ने उठाया सवाल, जांच का काम बैठक तक ही सिमटा
जांच कमेटी को अब तक नहीं मिला मनोनयन पत्र
सदस्यों ने कहा मामले को रफा-दफा करने की साजिश
200 लगे हैं चापाकल
9 जून 2012 से 8 जून 2017 तक खालिद अनवर नगर परिषद के मुख्य पार्षद रहे. इनके कार्यकाल में करीब 200 चापाकल शहर में लगाये गये. 2017 में नगर परिषद चुनाव के बाद सुनैना देवी मुख्य पार्षद बनी. सदस्यों ने चापाकल लगाने में गरबड़ी की आशंका जतायी थी. मुख्य पार्षद ने जांच कराने के लिए सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव लाकर जांच की मांग की. कार्यालय द्वारा संबंधित कर्मी को सूची उपलब्ध कराने को कहा. सूत्रों की माने तो सदस्यों को फरवरी 2017 से चुनाव पूर्व लगाये गये 34 चापाकलों की जांच चाहते है. इस दौरान सबसे अधिक वार्ड न. 22 एवं 28 में लगे हैं. आंकड़ों के मुताबिक 34 में से 28 चापाकल इन दो वार्डो में लगे है.
मनोनीत सदस्यों को शीघ्र पत्र होगा निर्गत
लगाये गये चापाकल की जांच होनी है. इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है. मनोनीत सदस्यों को शीघ्र पत्र निर्गत किया जायेगा.
सुनैना देवी, नगर परिषद के मुख्य पार्षद