राजस्व में 40 फीसदी की आयी है कमी
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सीधी ट्रेन बंद होने से महंगी यात्रा को मजबूर लोग
राजस्व में 40 फीसदी की आयी है कमी सुगौली : पाटलीपुत्रा- मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-नरकटियागंज -गोरखपुर रेलखंड में चलने वाली ट्रेनों की सीधी सेवा को सितंबर 2016 से रेलवे द्वारा बंद कर खंडवार रेल परिचालन शुरू कर दी गयी है. जिससे रेलवे की आय और यात्रियों की संख्या दोनों में बड़ी गिरावट आयी है. वही दूसरी ओर रेलवे […]
सुगौली : पाटलीपुत्रा- मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-नरकटियागंज -गोरखपुर रेलखंड में चलने वाली ट्रेनों की सीधी सेवा को सितंबर 2016 से रेलवे द्वारा बंद कर खंडवार रेल परिचालन शुरू कर दी गयी है. जिससे रेलवे की आय और यात्रियों की संख्या दोनों में बड़ी गिरावट आयी है. वही दूसरी ओर रेलवे के द्वारा बदलाव से यात्रियों की परेशानी बढ़ गयी है, अब उन्हें विकल्प के रूप में सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ रहा है. पिछले सितंबर 2016 से ट्रेन परिचालन के नए नियम के लागू होने के बाद से यह स्थिति उत्पन्न हुई है. ट्रेन की सीधी सुविधा में कमी की वजह से लोग बस यात्रा की ओर रुख करने लगे हैं.
क्या हुआ है बदलाव : पूर्व से इस रेलखंड में करीब आधा दर्जन पैसेंजर गाड़ियां पाटलिपुत्रा-समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर-सुगौली-नरकटियागंज होते हुए गोरखपुर तक जाती थी. जिससे प्रतिदिन हजारों लोग आवाजाही करते थे. पिछले करीब दस माह पूर्व रेलवे ने तीन भागों में गाड़ियों को चलाना शुरू कर दिया है. पहले नंबर बदल कर पाटलिपुत्र से गोरखपुर तक डायरेक्ट ट्रेन जाती थी पर अब पाटलिपुत्र से सुगौली, सुगौली से नरकटियागंज और नरकटियागंज से गोरखपुर तीन पार्ट में यह यात्रा पूरी की जा सकती है. यही स्थिति रक्सौल से समस्तीपुर के बीच ही गयी है.
क्या हुआ है प्रभाव
सीधी रेल सेवा को खंडित कर चलाने से गाड़ियों का मेल नहीं हो पा रहा है. वही सभी गाड़ियां प्रतिदिन करीब चार से आठ घंटे लेट चल रही है .समय पर नहीं पहुंचने के कारण गाड़ियों के मेल नहीं होने से यात्री दूसरी गाड़ी का इंतजार नहीं कर सड़क मार्ग से बस या अन्य साधनों से अपने घरों तक जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. खंडित यात्रा व्यवस्था के कारण वित्तीय वर्ष 2015-16 की तुलना में 2016-17 और 2018 में यात्रियों की संख्या में करीब 25 फीसदी और राजस्व में 30 से 40 फीसदी की कमी आयी है.
क्या हुआ है प्रभाव
सीधी रेल सेवा को खंडित कर चलाने से गाड़ियों का मेल नहीं हो पा रहा है. वही सभी गाड़ियां प्रतिदिन करीब चार से आठ घंटे लेट चल रही है .समय पर नहीं पहुंचने के कारण गाड़ियों के मेल नहीं होने से यात्री दूसरी गाड़ी का इंतजार नहीं कर सड़क मार्ग से बस या अन्य साधनों से अपने घरों तक जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. खंडित यात्रा व्यवस्था के कारण वित्तीय वर्ष 2015-16 की तुलना में 2016-17 और 2018 में यात्रियों की संख्या में करीब 25 फीसदी और राजस्व में 30 से 40 फीसदी की कमी आयी है.
ये ट्रेनें हुई हैं प्रभावित
रेलवे के द्वारा किये गये बदलाव के कारण 55213 ,55207 ,55210 ,55209, 55208 ,55015 ,55030 सहित आधा दर्जन पैसेंजर गाड़ियों की सीधी सेवा रोक दी गयी है. अब एक ट्रेन लेट होती है तो उसके साथ सारी ट्रेन लेट हो जाती है. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद से शायद ही कभी ऐसा हुआ है जब इस विभाजित करके चलायी जा रही ट्रेनें समय से चली हो.
सुगौली से कपरपुरा तक रेल ट्रैक और पटरी बदली जा रही है. रात में चार घंटे का मेगा बलॉक भी लिया जा रहा है. इसके लिए छह महीने का समय लग सकता है. खंडवार परिचालन से यात्रियों को हो रही देरी, रेलवे को राजस्व की कमी और यात्री संख्या में हुई कमी को दूर करने के लिए विचार किया जा रहा है.
वीरेंद्र कुमार, सीनीयर डीएसएम सह मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूमरे समस्तीपुर
क्या है पब्लिक डिमांड
रेल सेवा से लाभान्वित हो रहे आम लोग फिलहाल ट्रेनों के खंडवार चलाये जाने से बहुत परेशान हैं. बाल-बच्चों के साथ सामान लेकर यात्रा करने में परेशान हो जा रहे है . दूसरी ट्रेन पकड़ने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है . 55042 पैसेंजर ट्रेन जो गोरखपुर से बेतिया आकर वापस हो जाती है उसे अगर सुगौली तक चलाया जाय तो यात्रियों को बड़ी सुविधा होगी. मुजफ्फरपुर से नरकटियागंज के बीच चलने वाली 15215 -15216 एक्सप्रेस ट्रेन करीब-करीब सभी स्टेशनों पर रुकती है . अगर इसको पैसेंजर बनाकर चलाया जाय तो यात्रियों को सुविधा होगी और रेलवे की आय बढ़ेगी. क्योंकि इस बीच सुबह के 6.27 पर पैसेंजर ट्रेन 55207 के बाद शाम के 4.27 बजे ही 55213 पैसेंजर ट्रेन है . इस दरम्यान लोकल ट्रेन नहीं होने के कारण कम दूरी तक यात्रा करने वाले यात्री सड़क मार्ग का सहारा लेते है. रक्सौल से समस्तीपुर पैसेंजर ट्रेन को भी अब मुजफ्फरपुर तक ही चलायी जा रही है.इसका भी वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग रेलवे से की गयी है . लोगों की यह भी मांग है कि गाड़ियों को समय पर चलाया जाय. सुगौली-रक्सौल रेलखंड में पैसेंजर ट्रेन की कमी है जिसमें आवश्यकता अनुसार गाड़ियों की संख्या बढ़ायी जाये.
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