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ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार व फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर मिला प्रशिक्षण

ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार व फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर मिला प्रशिक्षण

मधेपुरा. जिले के घैलाढ़ प्रखंड में शुक्रवार को ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार व फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण जिला वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण कार्यालय व पिरामल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया. कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर कालाजार व लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) जैसे गंभीर संक्रामक रोगों की पहचान, प्रबंधन व उन्मूलन में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका को मजबूत करना था. प्रशिक्षण में बताया कि कालाजार उन्मूलन की दिशा में सक्रिय रोगी खोज (एसीडी) की विशेष भूमिका है. ग्रामीण चिकित्सकों को समझाया गया कि यदि वे बुखार से ग्रसित किसी रोगी को 14 दिन या उससे अधिक समय से पीड़ित पाते हैं, तो उसकी पहचान कर उसे समय पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए भेजें. इससे न केवल रोगी को समय पर इलाज मिल सकता है, बल्कि सामुदायिक स्तर पर संक्रमण फैलने की संभावना को भी रोका जा सकता है. इसी प्रकार, फाइलेरिया रोगियों की पहचान कर उन्हें घरेलू देखभाल किट (एमएमडीपी किट) प्रदान करने, नियमित पैर धोने, ऊंचा तकिया प्रयोग करने, साफ-सफाई रखने तथा विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया के बारे में बताया गया. प्रशिक्षण में चिकित्सा पदाधिकारी प्रभारी डॉ ललन कुमार ने कहा कि ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका गांवों में सबसे अहम है. वे न केवल बीमारियों की पहली जानकारी प्राप्त करते हैं, बल्कि समय पर रोगी को चिकित्सीय सुविधा तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण साबित होते हैं. उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे अपने अनुभव व सामाजिक संपर्क का उपयोग करते हुए कालाजार व फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में सहयोग करें. प्रशिक्षण सत्र में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी मुकेश कुमार उपाध्याय, पवेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी जितेंद्र कुमार, प्रखंड वेक्टर पर्यवेक्षक कंचन कुमारी व पिरामल फाउंडेशन से त्रिलोक कुमार मिश्रा (प्रोग्राम लीडर – संचारी रोग) तथा राम बल्लभ कुमार (कार्यक्रम अधिकारी-संचारी रोग) उपस्थित थे. प्रशिक्षण में भाग ले रहे ग्रामीण चिकित्सकों ने कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी बताया और कहा कि इस प्रकार की जानकारी उन्हें पहले नहीं मिली थी. प्रशिक्षण से उन्हें यह समझने में मदद मिली कि किस प्रकार वे सरकार के साथ मिलकर अपने क्षेत्र को कालाजार व फाइलेरिया से मुक्त बना सकते हैं.

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