जलजमाव ने बढ़ायी लोगों की परेशानी शहर का अधिकतर वार्ड है नाला विहीन प्रतिनिधि, मधेपुरा रविवार की देर रात बारिश हुई, जिससे मौसम का मिजाज बदल गया. पिछले तीन-चार दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी से राहत मिली, लेकिन मुख्य बाजार के अलावा गली-मुहल्ले में हुए जलजमाव ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी. जलजमाव से लोगों को बाजार में जितनी परेशानी हो रही है, उससे कई गुना अधिक गली-मुहल्ले से निकलकर मुख्य सड़क तक पहुंचने में हो रही है. वार्डों की गलियों और सड़कों पर कहीं टखना तो कहीं घुटने भर पानी जमा हो गया है, जिसके निकासी की कहीं कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन लोगों की लगातार हो रही इस परेशानी से नगर परिषद को कोई मतलब नहीं दिख रहा है. साल में छह महीने से अधिक होती है यह परेशानी चूंकि अब बारिश सिर्फ जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने में ही नहीं होती है. पर्यावरण असंतुलन के कारण कभी भी बारिश शुरू हो जाती है और लोगों को जलजमाव से जूझना पड़ता है. इस साल अप्रैल के शुरुआत से अब तक दो-दो दिन करके तीन बार बारिश हो चुकी है. थोड़ी सी बारिश होने के बाद शहर के गली-मुहल्ले में विकराल रूप से जलजमाव हो जाता है. अधिकतर मुहल्लों में लोगों का घरों से निकलना बंद हो जाता है. बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती है. बड़े-बुजुर्ग टहलने के लिए निकल नहीं पाते हैं. चूंकि इन गली-मुहल्ले की सड़के भी जर्जर है. लगभग सभी सड़कों पर छोटे-बढ़े गड्ढ़े बने हुए हैं. बारिश में डूब जाने के कारण बाइकर्स या साइकिल सवार को गड्ढ़े का पता नहीं चल पाता है और वे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. नगर परिषद को नहीं है कोई दिलचस्पी लगभग दो साल पूर्व शहर में ड्रेनेज सिस्टम की स्वीकृति मिली थी. इन नालों को बुडको से बनना है. इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के क्रम में भी इसे मुख्य एजेंडे में रखा और पटना जाकर कैबिनेट से भी स्वीकृति दे दी. बावजूद अब तक न तो गली-मुहल्ले में नाले का निर्माण शुरू हुआ है और न ही पूर्व से बड़े नाले का किसी बड़े जल क्षेत्र से कनेक्शन ही किया जा सका है. चूंकि नगर परिषद को पूर्व से बने बड़े नाले की सफाई कराने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही है, इसीलिए नाला गाद व कूड़े-कचड़े से अंटा पड़ा है. जिस कारण नाले का गंदा पानी ओवरफ्लो हो सड़कों पर ही बहता रहता है. जब बारिश होती है तो इन नालों का गंदा, काला व बदबूदार पानी काफी तेजी से बजबजाकर बाहर आता है.
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