मधेपुरा.
राज्य के संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत वित्त रहित शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों को 19 अप्रैल 2007 से पहले नियुक्त होने की स्थिति में तीन महीने के भीतर वेतन, पेंशन व अन्य भत्ते देने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है. यह फैसला 30 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की संविधान पीठ ने सुनाया है. फैसले से शिक्षा कर्मियों में खुशी है. फैक्टनेब मधेपुरा इकाई के पदाधिकारियों ने इसे डूबते को तिनके का सहारा बताया है और कहा कि 40 वर्षों से 70 प्रतिशत भागीदारी देने के बावजूद सरकारें उन्हें वेतन नहीं दे रही थी. इसके बावजूद शिक्षक समाज को दिशा देने का काम करते रहे. अब हाईकोर्ट के फैसले से उम्मीद जगी है. छह मई को पटना के हिंदी साहित्य भवन में फैक्टनेब की राज्य स्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें संगठन की सजगता व विधान परिषद में सभी दलों की एकजुटता की सराहना की गयी और कहा गया कि सड़क से सदन तक आंदोलन का असर दिखा है. सुशासन सरकार व हाईकोर्ट के आदेशों ने शिक्षा कर्मियों को न्याय दिलाया है. बैठक के बाद मधेपुरा लौटे फैक्टनेब के भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष प्रो अरविंद कुमार यादव, सुपौल जिलाध्यक्ष डाॅ चंद्र प्रकाश यादव, विश्वविद्यालय उपाध्यक्ष डाॅ दीपक कुमार सिंह, प्रदेश सचिव प्रो दिनेश कुमार, जिला कार्यकारी अध्यक्ष प्रो सत्येंद्र नारायण यादव, विश्वविद्यालय सचिव प्रो ललन कुमार व प्रो सत्येंद्र प्रसाद यादव ने संयुक्त बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि फैक्टनेब के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ शंभूनाथ प्रसाद सिन्हा, विधान पार्षद डाॅ संजीव, डाॅ संजय सिंह व डाॅ नवल किशोर यादव सरकार से आदेश लागू करवाने के लिए प्रयासरत हैं. सभी को फैक्टनेब मधेपुरा इकाई की ओर से बधाई दी.. साथ ही सरकार से कोर्ट के आदेश का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित करने की मांग की गयी. साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि आदेश लागू नहीं हुआ तो आंदोलन होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है