मधेपुरा. शहर के गली-मोहल्लों में नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं होने के कारण कूड़ा-कचरा का ढेर लगा है. घर-घर कूड़ा संग्रह भी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में लोग जहां-तहां कूड़ा- कचरा फेंक रहे हैं. चौक-चौराहों से लेकर मोहल्लों में जगह-जगह कूड़ा करकट का अंबार लगा हुआ है. लंबे समय से सड़कों की भी सफाई नहीं हो रही है. सड़क किनारे गंदगी जमा होने से बीमारियां पनपने की आशंका बढ़ गयी है. दुर्गंध से आसपास के लोगों का रहना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं मॉर्निग वॉकर्स को भी शुद्ध हवा नहीं मिल पा रही है.
शहर को स्वच्छ व सुगठित रखने के लिए नगर परिषद द्वारा उठाये गये कदम प्रशंसनीय हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है. वार्डों में कूड़ा संग्रहण की व्यवस्था का निर्माण किया गया है, इसमें सफाई कर्मियों की तैनाती की गयी है. ये कर्मी हर दिन सुबह घर-घर जाकर कूड़ा संचित करने का कार्य करते हैं. इसके साथ ही, समर्पित एनजीओ को इस प्रक्रिया की निगरानी और संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.हालांकि, वार्डों में घूमने पर यह स्पष्ट होता है कि कचरा हर तरफ फैला हुआ है, जिससे स्वच्छता की अवधारणा अधूरी लगती है. अनुबंध के अनुसार, स्वयंसेवी संस्थाओं को मुख्य मार्गों, गलियों और नालियों की सफाई को सुनिश्चित करना है, लेकिन इस दिशा में आवश्यक प्रयास दिखाई नहीं दे रहे हैं. यह स्थिति शहरवासियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि स्वच्छता का अभाव स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म देता है.
नगर परिषद व एनजीओ को मिलकर बनाये ठोस योजनाइस समस्या का हल ढूंढने के लिए नगर परिषद और एनजीओ को मिलकर एक ठोस योजना बनानी होगी. सफाई कर्मियों द्वारा कचरा संग्रहण की प्रक्रिया को नियमित और प्रभावी बनाना होगा. इसके अलावा, नागरिकों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करने होंगे, जिससे लोग अपने आस-पास की सफाई में सहयोग करें और कचरा को उचित स्थलों पर डालें. यह आवश्यक है कि सभी मिलकर इस समस्या का समाधान करें ताकि शहर को सच में क्लीन और ग्रीन बनाया जा सके.शहर के अधिकांश नाले की नहीं हुई है उड़ाही
शहर में नाला व्यवस्था की स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ चुकी है. अधिकांश नाले जाम पड़े हैं, इसके कारण जल निकासी की समस्या उत्पन्न हो रही है. नगर परिषद ने नालों की सफाई की बात तो की है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल अलग है. इन नालों में कूड़ा-कचरा जमा होने से न केवल नालियां बंद हो गयी हैं, बल्कि हल्की बारिश में ही जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. विशेष रूप से भिरखी क्षेत्र में यह समस्या अधिक गंभीर हो जाती है, जहां बारिश के बाद पानी सड़कों पर जमा हो जाता है और चलने में दिक्कत होती है. नालों का कचरा सड़कों पर आकर जमा होने के कारण पैदल चलने वाले लोगों के लिए परेशानी बढ़ गयी है. इसके अलावा, कई वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण करने वाले सफाई कर्मी नहीं आते, जिससे लोग मजबूरन घरों के आस-पास के खाली स्थानों में कूड़ा फेंकने को विवश होते हैं. नतीजा यह हुआ है कि शहर की गलियां कूड़ा-कचरा से भर गई हैं, जिससे हवाई स्वास्थ्य समस्या भी उत्पन्न हो रही है. यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि स्थानीय निवासियों के जीवन में भी असुविधा का कारण बन रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है