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शहर की सूरत संवरे, तो दिखे विकास

लापरवाही . मधेपुरा के नगर परिषद क्षेत्र को अपेक्षित ढंग से नहीं किया जा सका विकसित जिला बनने के बाद मधेपुरा जिला मुख्यालय को नगर परिषद बनाया गया था, ताकि लोकतांत्रिक तरीके से मधेपुरा का सर्वांगीण विकास किया जा सके. यह सवाल उठता है कि आखिर हमारा शहर कब सुंदर और स्वच्छ बनेगा. समाहरणालय रोड […]

लापरवाही . मधेपुरा के नगर परिषद क्षेत्र को अपेक्षित ढंग से नहीं किया जा सका विकसित

जिला बनने के बाद मधेपुरा जिला मुख्यालय को नगर परिषद बनाया गया था, ताकि लोकतांत्रिक तरीके से मधेपुरा का सर्वांगीण विकास किया जा सके. यह सवाल उठता है कि आखिर हमारा शहर कब सुंदर और स्वच्छ बनेगा.
समाहरणालय रोड पर चिल्ड्रेन पार्क बदहाल है
तो स्ट्रीट लाइट रखरखाव के अभाव में बेकार
मधेपुरा : कोसी इलाके के मध्य में स्थित होने के कारण मध्यपुर नाम पड़ा. मुगलकाल से लेकर अंग्रेजी शासनकाल तक मध्यपुर ही इस इलाके का प्रशासनिक केंद्र बना. मध्यपुर से मधेपुरा बनने तक के सफर के बीच इस शहर ने बहुत कुछ खो दिया है. शहरीकरण की दौड़ में शामिल तो हुआ, लेकिन अपने पालकों की लापरवाही के कारण यह मधेपुरा शहर निस्तेज हो गया है. विकास के लिए शहरीकरण को मॉडल बने सैकड़ों साल हो चुके हैं और हम कितने पीछे हैं. जो संसाधन मौजूद हैं,
उसे भी संभाल और सजा कर नहीं रख पा रहे हैं हम. वर्ष 1981 में जिला बनने के बाद मधेपुरा जिला मुख्यालय को नगर परिषद बनाया गया था, ताकि लोकतांत्रिक तरीके से मधेपुरा का सर्वांगीण विकास किया जा सके. यह सवाल उठता है कि आखिर हमारा शहर कब सुंदर और स्वच्छ बनेगा.
बात करें समाहरणालय रोड की : मधेपुरा में न सड़क का विकास हो सका और न ही बच्चों के खेल मैदान का. अगर कुछ निर्माण हुआ भी तो रख रखाव बहुत बड़ी चुनौती बन गया. समाहरणालय रोड को बीपी मंडल चौक से पंचमुखी चौक तक मानते हुए इसकी पड़ताल करें तो नतीजे चौंकाने वाले हैं. इस रोड पर समाहरणालय, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, नगर परिषद और मधेपुरा व्यवहार न्यायालय के अतिरिक्त कई अन्य कार्यालय हैं. इसी सड़क पर स्थित है जिला अतिथि गृह भी और तमाम आला अधिकारियों के आवास भी.
चिल्ड्रेन पार्क क्यों है बदहाल
समाहरणालय रोड में ही जिला अतिथि गृह के ठीक सामने शहर का एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क है. औपचारिक रूप से शहर का यही एक मात्र पार्क भी है. हर शाम बच्चे भी यहां पहंुचते हैं. लेकिन पार्क का रखरखाव नहीं है. माली रखा गया लेकिन पार्क में कभी फूल नहीं लगाये जाते. पार्क में जंगली घास उगे हैं. शाम होते ही बच्चों का झुंड यहां पहुंचने लगता है. साथ में आसपास की महिलाएं भी होती हैं. शहर में घूमने टहलने का कोई और विकल्प नहीं है. पार्क में बना फव्वारा भी बंद पड़ा है.
स्ट्रीट लाइट लगी भी, खराब भी हुई
समाहरणालय रोड में ही बीपी मंडल चौक से लेकर डीएम आवास तक सड़क के दोनों ओर फुटपाथ बनाये गये और फैशनेबल स्ट्रीट लाइटें भी लगायी गयी थी. रात में इस सड़क से गुजरने वाले इसे मरीन ड्राइव की संज्ञा देने लगे थे. लेकिन हुआ क्या. लाइट एक – एक कर बंद होती चली गयी. फिर धीरे -धीरे खंभे भी धराशायी होने लगे. इस रास्ते से हो कर डीएम के साथ तमाम आला अधिकारी और न्यायिक अधिकारी भी रोज गुजरते हैं. लेकिन कुछ नहीं होता.. यह सवाल शहरवासियों के लिए भी है कि क्यों कुछ नहीं होता …!

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