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रखरखाव के अभाव में प्रेक्षागृह खंडहर में तब्दील

उदाकिशुनगंज : सात जनवरी 2016 को प्रभात खबर में ”अतिक्रमण कारियों का है अवैध कब्जा”शीर्षक से प्रकाशित खबर पर प्रशासन हरकत में आकर सीओ उत्पल हीमवान एवं स्थानीय थाना के एसआई रविंद्र प्रसाद सिंह, एसआई राम निवास सिंह, पुलिस बलों के साथ एसबीजेएस हाई स्कूल के मैदान में पहुंच कर प्रेक्षा गृह, कल्याण छात्रावास एवं […]

उदाकिशुनगंज : सात जनवरी 2016 को प्रभात खबर में ”अतिक्रमण कारियों का है अवैध कब्जा”शीर्षक से प्रकाशित खबर पर प्रशासन हरकत में आकर सीओ उत्पल हीमवान एवं स्थानीय थाना के एसआई रविंद्र प्रसाद सिंह, एसआई राम निवास सिंह, पुलिस बलों के साथ एसबीजेएस हाई स्कूल के मैदान में पहुंच कर प्रेक्षा गृह, कल्याण छात्रावास एवं सड़क किनारे मैदान पर अपना-अपना आशियाना को गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाये अतिक्रमण कारियों से मुक्त कराने में सफलता प्राप्त किया था.
पुन: अतिक्रमण कारियों ने प्रशासन के आंख में धूल झोंक कर अपना कब्जा जमाने में प्रशासन को चुनौती दे डाली है. चौकाने वाली बात तो यह है कि वर्ष 1944 ई में तत्कालीन जिला पदाधिकारी केपी रमैया के प्रयास से कल्याण छात्रावास का निर्माण कराया गया था. लेकिन एक दिन के लिए भी छात्रावास में छात्र नहीं रह सकें. उद्घाटन से पूर्व ही खंडहर बन गया उक्त कल्याण छात्रावास. चूंकि शिक्षा का वातावरण ही दूषित हो गया है. न शिक्षक पठन पाठन कार्य में रूची लेते है और न छात्र ही.
खंडहर बन गया है भवन : गौरतलब है कि अनुमंडल मुख्यालय स्थित एसबीजेएस हाई स्कूल के मैदान पर जिला योजना मद की राशि से निर्मित सामुदायिक भवन रख रखाव की अभाव में खंडहर में तब्दील होते जा रहा है. अगर निकट भविष्य में भवन का मरम्मति नहीं करवाया गया तो किसी भी समय धराशायी हो सकता है.
निर्माण में एसडीओ को रहा था योगदान : अनुमंडल मुख्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन के लिए प्रेक्षा गृह नहीं था. तत्कालीन एसडीओ आइजी प्रधान के प्रयास के बाद उक्त भवन निर्माण के लिए जिला योजना मद से लगभग सात लाख रूपये का आवंटन हुआ था. दस नवंबर 1989 को तत्कालीन आयुक्त मदन मोहन सिंह ने इसका उद्घाटन किया था.
नहीं किया गया रख रखाव : भवन निर्माण के बाद आज तक मरम्मति या रंग रोगन तक नहीं किया गया. जिसके कारण यह भवन खंडहर में तब्दील होते जा रहा है. फिर भी इसकी सूद लेने वाला कोई नहीं है. विधायक हो या सांसद इस भवन की ओर झांकते तक नहीं है. निकट भविष्य में उक्त भवन का मरम्मति नहीं करवाया गया तो छत कभी भी गिर सकती है.
बिजली की नहीं है व्यवस्था : दुर्भाग्य की बात है कि उक्त भवन को प्रेक्षा गृह का रूप देने के बावजूद भी बिजली आपूर्ति की व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की गयी. जबकि सभी सरकारी भवनों में बिजली की आपूर्ति होती रही है. बिजली नहीं रहने के कारण भवन में अंधेरा छाये रहता है.
हुआ था कवि सम्मेलन : 1990 में पहली बार फणेश्वर नाथ रेणु के जन्म दिवस पर कवि सम्मेलन व कॉलेज के छात्राओं द्वारा नाटक मंचन किया गया था. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब तो उक्त भवन उस लायक भी नहीं रहा है. भवन के अंदर से इतना बदबू आता है कि मानव ठहर नहीं सकते हैं.

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