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नप दे रहा महिलाओं को किडनी की बीमारी
उदासीनता . शहर के किसी भी बाजार में कहीं भी महिला शौचालय की नहीं है व्यवस्था खरीदारी करने में महिलाओं को आगे माना जाता है. कपड़े की दुकान हो या गहनों की दुकानें. महिलाओं की भीड़ इन दुकानों पर लगी रहती है. लेकिन, विडंबना है कि बाजार का ये मुख्य खरीदार व्यापारी, जनप्रतिनिधि व प्रशासन […]
उदासीनता . शहर के किसी भी बाजार में कहीं भी महिला शौचालय की नहीं है व्यवस्था
खरीदारी करने में महिलाओं को आगे माना जाता है. कपड़े की दुकान हो या गहनों की दुकानें. महिलाओं की भीड़ इन दुकानों पर लगी रहती है. लेकिन, विडंबना है कि बाजार का ये मुख्य खरीदार व्यापारी, जनप्रतिनिधि व प्रशासन की उपेक्षा बरदाश्त करने पर विवश है.
बाजार में इनके लिए कोई सुविधा नहीं. अगर किसी महिला को खरीदारी के दौरान नैचुरल कॉल (मल-मूत्र) आ जाये, तो उसे किसी के घर की शरण लेनी होगी या इस अपने शरीर पर अत्याचार सहन करना होगा. क्योंकि शहर में मिहलाओं के लिए कहीं भी न तो मूत्रालय बनाये गये हैं और न ही शौचालय.
मधेपुरा : शहर में मिहलाओं के लिए कहीं भी न तो मूत्रालय बनाये गये हैं और न ही शौचालय. इससे महिलाएं गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाती हैं. उन्हें संक्रमण और किडनी की बीमारी भी हो जाती है. सामान्य सी नजर आने वाली इस संवेदनशील पहलू पर न कहीं चिंता है और न चर्चा. मधेपुरा नगर परिषद में कुल 26 वार्ड हैं.
इनमें से 17 वार्ड की पार्षद पर आधी आबादी काबिज हैं. नगर परिषद के किसी निर्णय को इनकी सहमति के बगैर पारित नहीं किया जा सकता. अब इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि आधे से कहीं अधिक वार्ड में महिला जनप्रतिनिधि होने के बाद भी महिलाओं से जुड़े इस संवेदनशील बिंदु पर कहीं कोई चर्चा नहीं होती. इससे यह समझा जा सकता है महिलाओं का प्रतिनिधित्व कितना छद्म है. विगत के वर्षों में कई बार शहर में शौचालय और मूत्रालय नहीं होने के मुद्दे को समाचारपत्रो में उठाया जाता रहा है. हर बार स्थानीय निकाय के पदाधिकारी यहीं कहते रहे हैं कुछ ही माह में निर्माण शुरू हो जायेगा.
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