21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

मिट्टी के मटके की जगह फ्रीज ने घरों में बनायी जगह, जीवन पर पड़ा असर

कुमार आशीष, मधेपुरा : एक वक्त था जब मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाया जाता था और मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू खाने के जायके को बढ़ा देती थी, लेकिन धीरे-धीरे मिट्टी के बने बर्तन पारंपरिक आयोजन के प्रतीक बन कर रह गये. बर्तन की बात कौन करे अब तो देवी देवताओं की मूर्तियां भी […]

कुमार आशीष, मधेपुरा : एक वक्त था जब मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाया जाता था और मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू खाने के जायके को बढ़ा देती थी, लेकिन धीरे-धीरे मिट्टी के बने बर्तन पारंपरिक आयोजन के प्रतीक बन कर रह गये. बर्तन की बात कौन करे अब तो देवी देवताओं की मूर्तियां भी प्लास्टर ऑफ पेरिस की भेंट चढ़ रही हैं.

नतीजतन मिट्टी का घड़ा, दीये और मूर्तियां बनाने वाले कुम्हार कठिन हालातों से जूझ रहे हैं. एक समय था, जब लोग कुम्हार के हाथों से बने दीयों को भगवान के सामने जलाकर घरों को रोशन करते थे. गर्मी के दिनों में मिट्टी के घड़े में रखे गये पेयजल गले को ठंडक पहुंचाते थे. लेकिन, अब आधुनिक सुविधाओं की वजह से लोग परंपराओं को भी भूल चुके हैं.

मिट्टी के मटके की जगह रेफ्रिजेटर ने घरों में जगह बना ली है. इसका असर उनकी जिंदगी पर पड़ा.
गुमनाम हो रहे गांव के कुम्हार: हालत यह है कि आज कुम्हार गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर है. पहले प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों ने कुम्हारों के पेट पर लात मार दिया इसके बाद रही सही कसर पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) ने पूरी कर दी लिहाजा कुम्हार सड़क पर आ गये हैं. चीन से आ रहे दीपक-मूर्तियों ने उन्हें दूसरा काम करने पर मजबूर कर दिया है.
मिठाई गांव के कुम्हारों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि बीते दस सालों में प्लास्टिक, पीओपी और चाइना के सामान ने उनके उनका रोजगार छीन लिया है. वहीं, मिट्टी की बढ़ती कीमतों ने आग में घी डालने का काम किया. सरकार मिट्टी काटने पर भी प्रतिबंध लगा चुकी है. इस वजह से करीब सत्तर फीसदी कुम्हार पैतृक व्यवसाय छोड़ कर दूसरा काम करने के लिए मजबूर हो गये हैं.
लोगों को चमकदार चीजें करती है आकर्षित
कुम्हार अजय पंडित ने बताया कि पिछले साल कुछ लोगों ने चायनीज सामान के खिलाफ अभियान चलाया था. इसके बावजूद मार्केट में अभी भी चाइनीज माल धड़ल्ले से बिक रहा है. ऐसे में मिट्टी खरीद कर बरतन बनाने वाला कुम्हार जब बाजार में सामान लेकर खड़ा होता है, तो कोई उसे पूछता भी नहीं है
. हाथ के बनाये सामान में उतनी फिनिशिंग नहीं आ पाती है, जितनी मशीन से बनी चीजों में होती है. आजकल ग्राहकों को सिर्फ चमकदार सामान ही पसंद आता है. उन्होंने बताया कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो वह वक्त ज्यादा दूर नहीं है, जब कुम्हार विलुप्त हो जायेंगे. उनके बच्चों ने भी पुश्तैनी काम छोड़कर दूसरा धंधा करना शुरू कर दिया है.
पूरी बस्ती में कुछ ही गिने-चुने कुम्हार हैं. वहीं, इनमें से सिर्फ तीन-चार ही हाथ से चलने वाले चाक बचे हैं. मिट्टी के सुराही बनाने वाले अतुल पंडित कहते हैं कि पिछले साल गर्मी शुरू होते ही चार दर्जन से अधिक मिट्टी का घड़ा बेच चुके थे. उनकी जितनी लागत और मेहनत लगती है, उस हिसाब से सामान का दाम नहीं मिलता है. ऐसे में मुनाफा न मिलने के कारण भी लोगों ने ये काम बंद कर दिया है.
लालू ने सोचा था, किसी को फिक्र नहीं
कुम्हार राम पंडित मिट्टी का बर्तन बना कर फूटपाथ पर बेचते हैं, लेकिन इससे उतना नहीं कमा पाते जिससे अपनी परिवार चला सकें. उनकी आवाज में एक दर्द है तो सरकार के प्रति गुस्सा भी.
30 सालों से इस व्यवसाय में लगे राम का कहना हैं कि आज मिट्टी के बने बर्तनों की मांग इस कदर कम हो गयी है कि कभी-कभी दिन में 100 रुपये तक की बिक्री भी नहीं हो पाती है. लालू प्रसाद के रेलमंत्री बनने पर मिट्टी के कुल्हर की बिक्री हुई थी, लेकिन बाद की सरकार ने ध्यान नहीं दिया.
शादी-विवाह में कुम्हार की आती है याद
कुम्हार बताते हैं कि मिट्टी से बरतन बनाना एक कला है. इसे बाजार उपलब्ध कराना चाहिए. स्वरोजगार के लिए ऋण भी उपलब्ध कराना चाहिए, लेकिन कोई भी सांसद, विधायक ने आवाज नहीं उठायी है. उनका कहना है कि प्रशासन ने अबतक उनके लिए कोई सुरक्षित स्थान का बंदोबस्त नहीं किया है.
ताकि वो बिना ड़र के अपना रोजगार चला सके. दुकानदारों के अनुसार इस रोजगार में खास फायदा नहीं है. अगर दीवाली को छोड़ दिया जाय तो बाकि के दिनों में उनका अपना पेट भरना मुश्किल हो जाता है. शादी ब्याह के अवसर पर लोग एक छोटी मटका और 2-4 ढ़क्कन सहित कुल 5-6 बर्तन ले जाते हैं जिसके एवज में उन्हें सौ से दो सौ रुपये मिल जाते हैं.
नगर परिषद ने नहीं बनाये वाटर पोस्ट
मधेपुरा . इन दिनों शहर में बढ़ती गर्मी व तेज धूप के कारण लोग परेशान हैं. सुबह में सूर्य देवता निकलते ही आग उगलना शुरू कर देते हैं और दोपहर से लू चलना शुरू हो जाता है. इसके कारण लोग जरूरी कार्य से ही बाहर निकल पा रहे हैं, नहीं तो घर में ही दुबके रहते हैं. मंगलवार को जिले का अधिकतम तापमान 40 डिग्री पर जा पहुंचा. छांव लोगों को भाने लगा. सड़कें तपने लगीं. जरूरी कामों से घरों से निकले लोगों को मुंह पर कपड़ा लपेटना पड़ा.
आलम यह है कि 10 बजे के बाद लोग घर से बाहर निकलने में लोग कतराने लगे हैं. इस धूप व भीषण गर्मी में रिक्शा, ठेला, खोमचा पर दिन में मजदूरी करने वाले लोगों के साथ-साथ स्कूली छात्र-छात्राओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. लोग दिन भर तपिश गर्मी झेलने के बाद शाम को थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं.
शहर में नहीं है प्याऊ की व्यवस्था
नगर परिषद द्वारा शहर के किसी भी चौक-चौराहों पर प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गयी है. इस कारण इस तपिश भरी गर्मी व धूप से लोगों का गला सूखने पर प्यास बुझाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था नगर परिषद क्षेत्र में नहीं है. लोगों को प्यास लगने पर जिन लोगों के जेब में पैसा रहता है, वे बोतल बंद पानी खरीद कर प्यास बुझाते हैं. वहीं गरीब लोग चापाकल की तलाश करते हैं. वही इस भीषण गर्मी में शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर शीतल पेय पदार्थों की बिक्री तेज हो गयी है.
ठंडा पेय पदार्थों की बिक्री जोरों पर
दुकानों पर ठंडा पेय का बिक्री जोरों पर है. वहीं दूसरी तरफ दही की लस्सी, मौसमी, गन्ना, बेल का लस्सी की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है. शहर के कर्पूरी चौक, स्टेशन चौक, कॉलेज चौक, बस स्टैंड चौक सहित विभिन्न चौक-चौराहों पर इन पेय पदार्थों की बिक्री के लिए ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है.
वही शहर के विभिन्न दुकानदारों का कहना है कि भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप के कारण बिक्री में कमी आयी है. दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ कम देखी जा रही है. दुकानदार का कहना है कि दोपहर में दुकानदारी प्रभावित होती है शाम होते ही दुकानों पर खरीदारी के लिए भीड़ जमा हो जाती है.
फुटपाथी दुकानदारों को परेशानी
वही दूसरी तरफ फुटपाथी दुकानदारों का कहना है कि दोपहर में दुकानदारी कम चलती है,कड़ी धूप में खड़ा होकर ग्राहक का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन बिक्री जितना चाहिए उतना नहीं हो पा रहा है.
इसके कारण दुकान प्रभावित हो रही है. शहर के स्टेशन चौक स्थित जूस कार्नर के संचालक हरेन्द्र ने बताया कि भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप के कारण ग्राहकों में बढ़ातरी हुई है लोग प्यास बुझाने के लिये जूस कार्नर पर जूस पीने के लिये आ रहे है. ज्यादातर ईख, मौसमी, बेदाना की जूस की बिक्री हो रही है.
कहते हैं चिकित्सक
डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी की उमस में शरीर अत्यधिक पानी का डिमांड करती है. लू से बचाव के लिए लोगों को पानी का अत्यधिक सेवन कर ही घर से बाहर निकलना चाहिए. इसके अलावा एसी से सीधे धूप में निकलने से परहेज करना चाहिए. चिकित्सक बताते हैं कि गर्मी के समय में मीट, मछली व अंडा का सेवन कम करना चाहिए. इसके अलावा बच्चों व बुजुर्ग को ओआरएस का घोल नियमित पीना चाहिए.
उल्टी, दस्त व बुखार की स्थिति में चिकित्सक से सलाह लेकर ही दवा का सेवन करना चाहिए. डॉक्टर कहते हैं कि इन दिनों वायरल फीवर की चपेट में लोग आ रहे हैं. खासकर जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, वायरल उन पर ज्यादा अटैक करता है. वायरल की वजह से लोगों को बुखार सहित नाक, कान, आंख व गले में संक्रमण देखा जा रहा है. बच्चों को समय-समय पर पानी पिलाते रहना चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel