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पहले खुद को बदलेंगे, तभी बदल सकती शहर की सूरत
मधेपुरा : मुख्यालय में यत्र-तत्र फैले कूड़े कचरे से लोग परेशान हैं. नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या आठ के वासी कहते हैं कि कचरा बीमारी का कारण भी बनता है. घर का कूड़ा कचरा हम सड़क के किनारे फेंक देते हैं. इसके कारण सड़क गंदा भी होता है और राहगीरों को भी परेशानी होती […]
मधेपुरा : मुख्यालय में यत्र-तत्र फैले कूड़े कचरे से लोग परेशान हैं. नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या आठ के वासी कहते हैं कि कचरा बीमारी का कारण भी बनता है. घर का कूड़ा कचरा हम सड़क के किनारे फेंक देते हैं. इसके कारण सड़क गंदा भी होता है और राहगीरों को भी परेशानी होती है. इस पर अगर बारिश हो जाए या किसी कारणवश उस पर पानी पड़ जाए तो यह और भी खतरनाक हो जाता है.
हम अपने घरों का कचरा आंगन में एक बड़े से डस्टबीन में रोज जमा करें और घर के सभी सदस्यों को डस्टबीन का उपयोग करने को बाध्य करें. चौक-चौराहों पर, कॉलेज स्कूल के आगे या किसी भी शैक्षणिक संस्थान के आसपास यह नजारा आम है. छात्र-छात्राओं के बीच सफाई की चर्चा भर हो कर रह जाती है.
आमजन क्या करें और कैसे करें, इसके लिये समय नहीं है. इसकी जिम्मेदारी सिर्फ नगरपरिषद या वार्ड पार्षद पर थोप कर लोग निश्चिंत हो जाते हैं. सवाल यह है कि जब तक सब मिल कर इसके लिये मुहिम नहीं चलायेंगे या अपने-अपने आसपास ही सफाई के लिये तत्पर नहीं होंगे, समस्या का समाधान काफी मुश्किल है. आलम यह है कि सड़क पर कचरा देख कर यह समझ में आ जाता है कि यहां किसी घर में शादी हुई है या कोई समारोह मनाया गया है.
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